लखनऊः भारतीय पैरा बैडमिंटन के इतिहास में पहली बार किसी कोच को द्रोणाचार्य अवार्ड से नवाजा जा रहा है. खेल दिवस के मौके पर मिलने वाला यह प्रतिष्ठित अवार्ड लखनऊ के लिए खुशखबरी लेकर आया है, क्योंकि यहां के पूर्व खिलाड़ी और भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के कोच गौरव खन्ना को भी यह अवार्ड मिलने जा रहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए पैरा बैडमिंटन के मुख्य कोच गौरव खन्ना ने कहा कि उस ऐतिहासिक पल का वह बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह एक सपना है जो हकीकत में बदलने जा रहा है. गौरव ने कहा कि हर कोच का सपना होता है कि उसे सर्वोच्च सम्मान मिले.
खेल दिवस के मौके पर लखनऊ के कोच गौरव खन्ना को मिलने जा रहा द्रोणाचार्य अवार्ड
राजधानी लखनऊ के पूर्व खिलाड़ी और भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के कोच गौरव खन्ना को द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने जा रहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए पैरा बैडमिंटन के मुख्य कोच गौरव खन्ना ने कहा कि उस ऐतिहासिक पल का वह बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
असली काम तो खिलाड़ियों ने किया
ईटीवी भीरत से बातचीत में गौरव खन्ना ने कहा कि एक कोच के तौर पर उन्होंने सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है. असली काम तो हमारे खिलाड़ियों ने पदक जीतकर किया है. अगर खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मैचों में पदक जीतकर न लाते तो शायद आज वह इस सम्मान के हकदार नहीं होते. गौरव खन्ना ने बताया कि उनके निर्देशन में खिलाड़ियों ने साल 2014 से लेकर अब तक करीब 314 अंतर्राष्ट्रीय मेडल जीते हैं. जिनमें रिकॉर्ड 96 स्वर्ण पदक भी शामिल है. उन्होंने कहा कि उनके खिलाड़ी राजकुमार साल 2017, मनोज सोनकर 2018 और प्रमोद भगत 2019 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किए गए हैं. गौरव खन्ना ने बताया कि पिछले साल 2019 में उनके नेतृत्व में भारत ने पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. इस चैंपियनशिप में 3 स्वर्ण, 4 रजत और 6 कांस्य पदक सहित कुल 13 मेडल जीते हैं.
आंशिक रूप से हैं दिव्यांग
गौरव ने बताया कि साल 2000 में एक दुर्घटना के होने से आंशिक रूप से वह दिव्यांग हो चुके हैं. इस समय पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है. वह वर्तमान में भारतीय रेलवे में नौकरी कर रहे हैं. गौरव खन्ना बताते हैं कि भारत सरकार ने अगर मुझे इस प्रतिष्ठित सम्मान के लायक समझा है तो इसका श्रेय वह अपने परिवार को देना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि जिस समय उनको चोट लगी थी, उस समय सारी उम्मीदें टूट गई थीं. लेकिन अपने परिवार के चलते उन्होंने वापसी की और 2004 से उन्होंने स्पेशल बच्चों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि साल 2011 में एशिया मूक-बधिर चैंपियनशिप में उनको एशियन टीम का कोच नियुक्त किया गया. गौरव ने कहा कि यह उनके करियर का सबसे अहम मोड़ साबित हुआ. उनके नेतृत्व में टीम ने बेजोड़ प्रदर्शन किया. इसके बाद 2014 में उन्हें भारतीय पैरालंपिक कमेटी ने टीम इंडिया का मुख्य कोच नियुक्त किया. यहीं से उनकी सफलता की शुरुआत हुई जो अनवरत जारी है.
2020 गौरव के लिए रहा शुभ
ईटीवी भारत से बात करते हुए कोच गौरव खन्ना कहते हैं कि जहां तक साल 2020 की बात है, सभी के लिए खराब साबित हो रहा है, लेकिन मेरे लिए गौरव और यादगार बनने जा रहा है. मुझे द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने जा रहा है जो हर किसी का सपना होता है. उन्होंने यह भी बताया कि उनके मार्गदर्शन में अभी तक छह भारतीय शटलरों ने टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई भी कर लिया है. पहली बार पैरालंपिक में द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने पर कोच गौरव खन्ना ने कहा कि यह पहला और आखिरी नहीं है. अब से जो शुरुआत हो रही है वह आगे भी जारी रहेगी.