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राजधानी की बड़ी आबादी तक नहीं पहुंचता है पीने का साफ पानी

यूपी की राजधानी लखनऊ के कुछ इलाकों में पीने के साफ पानी की किल्लत है. जलकल विभाग की माने तो शहर को 8 जोन में बांटकर जलापूर्ति हो रही है. प्रतिदिन शहर की 30 लाख जनसंख्या पर 700 एमएलडी पीने की पानी की सप्लाई हो रही है. वहीं लोगों का कहना है कि जलकल विभाग के सप्लाई का पानी पीने लायक नहीं होता है.

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पीने के पानी की समस्या.

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Published : Oct 20, 2020, 1:29 PM IST

लखनऊः राजधानी लखनऊ की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन सबको जरूरत का पूरा पानी उपलब्ध कराना जलकल विभाग की एक बड़ी समस्या बन गई है. राजधानी की एक बड़ी आबादी पीने के पानी को तरस रही है. क्योंकि उनके घरों तक जो पानी जलकल विभाग द्वारा भेजा जाता है. वह पीने लायक नहीं होता है. गलती से अगर लोग पी भी ले तो उससे स्वास्थ संबंधित समस्याएं भी होने लगती हैं.

वहीं जलकल विभाग की माने तो शहर को 8 जोन में बांटकर जलापूर्ति हो रही है. प्रतिदिन शहर की 30 लाख जनसंख्या के अनुसार 700 एमएलडी पानी की जलापूर्ति हो रही है. वहीं जिन क्षेत्रों में पानी की समस्या होती है. उसके लिए विभाग के पास 44 टैंकर हैं, जिनके माध्यम से पानी पहुंचाया जाता है. पूरे शहर को साफ पानी देने के लिए लगभग दो हजार जलकल के कर्मचारी लगे हुए हैं, लेकिन लखनऊ का जलकल विभाग अभी जनता को 24 घंटे पानी दे पाने में पूरी तरह से विफल है.

पीने के पानी की समस्या.

7,000 लाख लीटर पानी की रोज होती है सप्लाई
नगर निगम के नगरीय क्षेत्र में पीने का पानी उपलब्ध कराना जलकल विभाग का काम होता है. राजधानी लखनऊ में प्रतिदिन 3 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और 672 ट्यूबेल के माध्यम से 7,000 लाख लीटर पानी की सप्लाई की जा रही है. इसमें 350 एमएलडी ट्यूबवेल के माध्यम से हो रहा है तो इतना ही पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से सप्लाई की जा रही है. बीते एक दशक के भीतर जल आपूर्ति की मांग में दस फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. जलकल विभाग के पास 1985 में शहर में केवल 70 ट्यूबवेल थे जो अब बढ़कर 672 तक पहुंच गए हैं.

पानी को शोधित करने के लिए होता पुरानी तकनीक प्रयोग
राजधानी लखनऊ के जलकल विभाग शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयासरत है, लेकिन अभी भी यहां पर पानी की शुद्धता को बनाए रखने के लिए 20 साल पुरानी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. विभाग में रैपिड ग्रेविटी फिल्टर से पानी के शोधन का काम चल रहा है. फिलहाल यह तकनीक अब पुरानी हो चुकी है. जबकि आगरा में नगर निगम आत्याधुनिक इजरायल की तकनीक से पानी के शोधन का काम करता है.

प्रदूषित गोमती है जलापूर्ति का बड़ा आधार
गोमती नदी को राजधानी लखनऊ के जलापूर्ति का बड़ा आधार माना जाता है, लेकिन यह नदी देश के सबसे प्रदूषित नदियों में से एक हैं. नदी में लगातार खुले नालों की संख्या बनी हुई है. जिसके माध्यम से नदि में प्रदूषण बढ़ रहा है. जलकल विभाग द्वारा गोमती नदी से 350 एमएलडी रॉ वाटर लेकर उसे शोधित कर जलापूर्ति के काम में प्रयोग करती है.

साफ पानी को तरसती है बड़ी आबादी
राजधानी लखनऊ के कुछ इलाकों में आज भी पीने को साफ पानी नहीं पहुंचता है. यहां जलकल विभाग द्वारा की जा रही पूर्ति में पानी की गुणवत्ता अच्छी नहीं है. यह पानी घरों में नहाने और कपड़े धोने के काम में ही प्रयोग हो रहा है. जबकि साफ पानी के लिए लोग आसपास के दूसरे स्रोतों पर निर्भर होना पड़ता है.

शहर के ही 4 माल इलाके में रहने वाली अंजू बताती हैं कि उन्हें साफ पानी के लिए घर से 200 मीटर से भी दूर जाना पड़ता है. तब जाकर परिवार को पीने लायक पानी उपलब्ध होता है. क्योंकि इनके घरों में जलकल विभाग के सप्लाई का पानी पीने लायक नहीं होता है. वहीं इंदर बताती हैं कि वह बीमार हैं. फिर भी उन्हें पीने के साफ पानी के लिए बाहर जाना पड़ता है. दिन भर वह पानी ढोती रहती हैं. क्योंकि उनके घरों तक पीने लायक साफ पानी नहीं पहुंचता है.

जलकल विभाग के सचिव ओपी सिंह बताते हैं कि फिलहाल शहर की जनसंख्या के हिसाब से 700 एमएलडी पानी की सप्लाई नियमित तौर पर हो रही है. वहीं अभी 24 घंटे जलापूर्ति नहीं हो पाएगी. क्योंकि संसाधनों की कमी है.

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