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एक बर्खास्त सिपाही, पूरे पुलिस महकमे पर भारी: हत्या की साजिश, किडनैपिंग में आरोपी, 5 साल से है फरार

यूपी पुलिस से बर्खास्त सिपाही का नाम पहली बार राजधानी के सआदतगंज में रहने वाले एक व्यापारी की हत्या (Dismissed constable of UP Police) के बाद आया था. जिसके बाद आरोपी सिपाही को बर्खास्त कर दिया गया था, वहीं आरोपी सिपाही का नाम फिर कपड़ा व्यापारी के अपहरण मामले में आया है. जिसके बाद पुलिस आरोपी सिपाही को तलाश रही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 12, 2023, 7:34 PM IST

Updated : Dec 13, 2023, 9:48 AM IST

लखनऊ : वह सुल्तानपुर, वाराणसी और लखनऊ में करीब बीस वर्ष पुलिस की नौकरी कर चुका है. उसने क्राइम ब्रांच में रहकर अपराधियों की एक-एक गतिविधियों पर नजर रखी, सर्विलांस के हर गुण सीखे और अपराधियों को पकड़ने की हर तकनीकी पर काम किया और फिर बन गया राजधानी पुलिस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द. इस सिपाही पर आरोप है कि उसने एक बेकसूर बुजुर्ग को उसके ही बेटे की हत्या की साजिश रचने का आरोपी बनाया. फिर सिपाही पर आजमगढ़ के एक व्यापारी को उठाकर लखनऊ में लूट करने का आरोप लगा. इस सिपाही को पुलिस आज तक गिरफ्तार नहीं कर सकी. इससे पहले बर्खास्त सिपाही ने बुर्का पहनकर कोर्ट में सरेंडर किया था. आइए जानते हैं उसी शातिर बर्खास्त सिपाही की कहानी, जो पड़ रहा है अपने ही विभाग पर भारी.

जेल में बंद अपराधी का खेवनहार बना, बुजुर्ग को बनाया बेटे का हत्यारा

16 अक्टूबर 2013, लखनऊ के सआदतगंज में रहने वाले आयुष साहू की हत्या कर दी गई. यह हत्या अकील नाम के एक अपराधी ने करवाई थी, पुलिस की जांच शुरू हुई और अपराधी अकील तक पुलिस पहुंचने वाली थी, इसी बीच अकील का खेवनहार बना वर्ष 1998 बैच का क्राइम ब्रांच में तैनात सिपाही धीरेंद्र यादव. अकील ने सिपाही धीरेंद्र यादव को अपने साथ मिलाया और रच डाली एक ऐसी साजिश, जिसका राज खुलने पर पुलिस महकमे के सभी अधिकारी हैरान रह गए थे. सिपाही धीरेंद्र यादव ने आयुष की हत्या के मामले में एक एफआईआर दर्ज करवाई और इसमें आयुष के पिता श्रवण साहू को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया. इतना ही नहीं इस मामले में क्राइम ब्रांच ने राजधानी के पारा थाने की मदद से चार मासूमों को जेल भी भिजवा दिया. जिसके बाद तत्कालीन एसएसपी लखनऊ मंजिल सैनी ने धीरेंद्र यादव को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया और उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाया गया, लेकिन गिरफ्तार नहीं कर सकी.

बर्खास्त सिपाही (फाइल फोटो)


दो वर्ष फरारी के बाद फिल्मी स्टाइल में बुर्का पहन किया सरेंडर

धीरेंद्र यादव, जो पुलिस की हर गतिविधियों की जानकारी रखता था. क्राइम ब्रांच में लंबे वर्षों तक काम करने के चलते उसका मुखबिर तंत्र मजबूत था और कैसे सर्विलांस से बचना है उसके हर पैतरों से वाकिफ था वह दो वर्षों तक पुलिस की गिरफ्त से मीलों दूर रहा, हालांकि धीरेंद्र यादव खुलकर बैटिंग करना चाहता था ऐसे में उसने एक बार जेल जाना ही ठीक समझा. लिहाजा मार्च 2019 को उसने फिल्मी स्टाइल में लखनऊ कोर्ट में एंट्री ली व बुर्का पहन खुद को सरेंडर कर दिया. पुलिस को कानों कान खबर नहीं लग सकी. सात माह बाद धीरेंद्र जेल से रिहा हुआ.

बर्खास्त सिपाही (फाइल फोटो)


बर्खास्त सिपाही पर एक और अपराध करने का आरोप

कई वर्ष बाद एक बार फिर यूपी पुलिस का बर्खास्त सिपाही लखनऊ पुलिस के लिए चुनौती बन गया. इस बार भी इस सिपाही ने पुलिसकर्मियों और मुखबिरों का तंत्र बनाया और रच डाली 250 किलोमीटर दूर मौजूद एक कपड़ा व्यापारी के अपहरण की साजिश. 29 नवंबर 2023 को आजमगढ़ के भोगनवाला निवासी कपड़ा व्यापारी इस्तियाक को कुछ लोग खुद को क्राइम ब्रांच का बताकर राजधानी के निरालानगर स्थित होटल ले आए. इस्तियाक को आजमगढ़ से अपहरण कर लाने वालों में हसनगंज थाने में तैनात दरोगा अनुराग द्विवेदी, सिपाही यूसुफ, पुलिस का मुखबिर शेखर, हिस्ट्रीशीटर दिनेश गुप्ता और नसीम शामिल थे, हालांकि इस पूरी साजिश को रचने वाला वही बर्खास्त सिपाही धीरेंद्र यादव था. इन सभी ने व्यापारी इस्तियाक से होटल में लूटपाट की और उसे भगा दिया. पीड़ित हसनगंज थाने पहुंचा जहां से उसे भगा दिया गया. इसी दौरान पैसों को लेकर धीरेंद्र यादव और मुखबिर शेखर में झगड़ा हुआ और फिर इस पूरे मामले की पोल खुल गई. इस बार फिर एक दरोगा और सिपाही के खिलाफ एफआईआर हुई, धीरेंद्र यादव को भी आरोपी बनाया गया. पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन बर्खास्त सिपाही धीरेंद्र फिर से गायब हो गया.

बर्खास्त सिपाही (फाइल फोटो)


लखनऊ में खुद का अर्केस्टा बैंड खोला

दरअसल, आगरा का रहने वाला बर्खास्त सिपाही पुलिस में नौकरी पाने के दस वर्ष बाद ही और पैसा कमाने को चाहत रखने लगा था. उसने सबसे पहले लखनऊ में अपना खुद का अर्केस्टा बैंड खोला और अपने रसूख के चलते बड़ी बड़ी पार्टियों में अपने बैंड को भेजने लगा था. धीरेंद्र यादव के साथ काम कर चुके एक सिपाही ने बताया कि, 'धीरेंद्र अपने अर्केस्टा से अधिक से अधिक पैसा कमान चाहता था, इसके पीछे उसके महंगे शौक थे जो पुलिस की नौकरी से पूरे नहीं हो रहे थे, लेकिन धीरे धीरे वह अपराधियों को पनाह देने का काम करने लगा था. श्रवण साहू हत्याकांड से पहले उसकी कई बार अधिकारियों से शिकायत भी हुई थी, लेकिन हर बार चेतावनी देकर उसे छोड़ दिया गया था, लेकिन जब अर्केस्टा और अपराधियों से मिलने वाले पैसे कम पड़ गए तो उसने खुद अपना गैंग बनाने की ठान ली. जिसमें पुलिस कर्मियों, मुखबिरों और अपराधियों की तिगड़ी बनाई और अपराध करने लगा.'

बर्खास्त सिपाही (फाइल फोटो)

शातिर दिमाग और मुखबिर तंत्र के चलते पहुंच से दूर रहता है बर्खास्त सिपाही

अपहरण और लूट की जांच कर रहे एक अधिकारी के मुताबिक, 'धीरेंद्र यादव इतना बड़ा शातिर है कि उसे पुलिस के हर कदम की जानकारी मिल जाती है या फिर उसे उसका अंदेशा हो जाता है. वह मोबाइल इस्तेमाल नहीं करता, क्योंकि वो सर्विलांस की रग रग से वाकिफ है. उसके पास मुखबिरों का एक बड़ा तंत्र मौजूद है जो उसे जानकारी देते रहते हैं. इतना ही नहीं जिस तरह हर बार वह किसी न किसी अपराध में पुलिस कर्मियों को शामिल कर लेता है तो यह जरूर है कि विभाग में उसके अब भी कई चहते हैं जो उसको मदद कर रहे हैं. ऐसे में नेपाल से लेकर आस पास राज्यों में छापेमारी के बाद भी वह हाथ नहीं लग रहा.'

'पुलिस का दावा, जल्द करेंगे गिरफ्तार'

डीसीपी मध्य अपर्णा रजत कौशिक कहती हैं कि, 'इस पूरे मामले में शामिल पुलिसकर्मियों को निलंबित कर गिरफ्तार किया जा चुका है. इसके अलावा इस केस में शामिल अन्य आरोपियों की भी गिरफ्तारी की जा रही है. बर्खास्त सिपाही धीरेंद्र की भी गिरफ्तारी के लिए टीम गठित है, कुछ समस्याएं जरूर आ रही हैं उसे ट्रेस करने में, लेकिन जल्द ही उसकी भी गिरफ्तारी की जाएगी.'

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Last Updated : Dec 13, 2023, 9:48 AM IST

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