लखनऊ : प्रदेश में कौशल विकास मिशन के तहत युवाओं को स्वावलंबी बनाने और उन्हें ज्यादा से ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न जिलों में प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं. विभाग यह प्रशिक्षण खुद न देकर प्रशिक्षण सहयोगियों (ट्रेनिंग पार्टनर) के माध्यम से काम करता है. विभाग के नियमों और शर्तों के अनुसार प्रशिक्षणदाता युवाओं को विभिन्न रोजगारपरक विषयों में प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराते हैं. इसके बदले मिशन उन्हें नियमानुसार भुगतान भी करता रहता है. कोविड काल से कुछ प्रशिक्षणदाताओं को भुगतान में समस्या हो रही थी, हालांकि अब इस समस्या का स्थाई समाधान हो गया है. शासन स्तर से मिशन निदेशक आंद्रा वामसी को अब दस लाख से बढ़ाकर 25 लाख तक के भुगतान करने के लिए अधिकृत कर दिया गया है. स्वाभाविक है कि इस आदेश के बाद मिशन के कामों में तेजी आएगी. व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल का कहना है कि 'मिशन अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए तेजी से काम कर रहा है.'
अब मिशन मोड में दौड़ेगी कौशल विकास की गाड़ी, निदेशक कर सकेंगे 25 लाख तक के भुगतान
कौशल विकास मिशन को अब और रफ्तार मिल सकेगी. शासन स्तर से मिशन निदेशक को अब 25 लाख तक के भुगतान के लिए अधिकृत कर दिया गया है. पहले यह राशि 10 लाख रुपये ही थी.
मिशन निदेशक आंद्रा वामसी बताते हैं कि 'तमाम प्रशिक्षणदाताओं ने उन्हें दिए गए टारगेट के सापेक्ष काफी कम नामांकन (इनरोलमेंट) कराया है, जबकि प्रशिक्षणदाताओं को दिया गया टार्गेट वित्तीय वर्ष में ही पूरा करना होता है. ऐसे प्रशिक्षणदाता जिन्होंने अपने टारगेट के सापेक्ष सौ प्रतिशत अथवा एक हजार अभ्यर्थियों का नामांकन करा लिया है, उनका भुगतान प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है. हां, शिथिलता बरतने वालों के खिलाफ मिशन सख्त रवैय्या भी अपनाता है, वहीं कुछ प्रशिक्षणदाताओं का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 अथवा इससे पहले के वर्षों के दस लाख से ज्यादा की राशि वाले भुगतान अभी तक नहीं हो पाए हैं. विगत कई महीनों से तमाम प्रशिक्षणदाताओं के बड़े भुगतान (दस लाख से अधिक) नहीं हो पा रहे थे. कई प्रशिक्षणदाता बताते हैं कि पहले इस विभाग के प्रमुख सचिव रहे सुभाष चंद्र शर्मा तमाम बिलों का भुगतान दबाए रहे. इसके लिए प्रशिक्षणदाताओं के स्तर से किए गए तमाम प्रयास भी काम नहीं आ सके. पिछले दिनों सुभाष चंद्र शर्मा के स्थानांतरण के बाद एमके शनमुगा सुंदरम प्रमुख सचिव बनाए गए हैं. माना जा रहा है कि शायद इस कारण अभी तक भुगतान को गति नहीं मिल पाई थी. मिशन निदेशक के वित्तीय अधिकारों में वृद्धि के बाद उम्मीद है कि यह समस्या भी समाप्त हो जाएगी. दूसरी ओर वित्तीय वर्ष 2023-24 में फ्लेक्सी कंपनियों के साथ हुए अनुबंध में उन्हें प्रोजेक्ट कास्ट की 30 प्रतिशत धनराशि का भुगतान किया जाना था, किंतु शासन स्तर पर अचानक नियमों में बदलाव कर दिया गया, जिसके कारण उन्हें अग्रिम धनराशि नहीं मिल पाई है. हालांकि मिशन निदेशक आंद्रा वामसी और प्रमुख सचिव एमके शनमुगा सुंदरम से प्रशिक्षणदाताओं के आग्रह करने के बाद अब नियमों में पुन: बदलाव कर 25 फीसद अग्रिम भुगतान की व्यवस्था बहाल की जा रही है.
कौशल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल कहते हैं कि 'हमारे विभाग में अलग-अलग प्रकार के प्रयोग होते रहते हैं. हम ट्रेनिंग पार्टनर्स से कहते हैं कि बच्चों को नौकरी भी दें. कई लोग नौकरी दिलाने में लापरवाही करते हैं अथवा उनकी प्रगति ठीक नहीं होती है, ऐसे लोगों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है. कई बार इसी कारण नियमों में भी परिवर्तन किया जाता है.' हमारा टारगेट टीपी को महिमा मंडित करना या बहुत बड़ा भुगतान करने का नहीं है. हमारा उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना है. इसके लिए ही हम ट्रेनिंग पार्टनर्स के साथ काम करते हैं. यदि ट्रेनिंग पार्टनर यह चाहते हैं कि अच्छा प्रशिक्षण न हो, ठीक प्रकार से सेंटर्स का संचालन न हो और भुगतान होता रहे, तो यह असंभव है. यही कारण है कि हमें अलग-अलग प्रकार के प्रयोग करते रहने पड़ते हैं. उद्देश्य यही है कि बच्चों को रोजगार मिले और वह स्वावलंबी बनें. बच्चों के हाथ में हुनर हो और वह प्रशिक्षित हों. अभी हमने कुछ परिवर्तन किए हैं, जिसमें प्रशिक्षणदाताओं को पचीस प्रतिशत अग्रिम धनराशि का भुगतान करने की व्यवस्था की जा रही है. पहले जो प्रशिक्षणदाताओं के लिए एक से तीन करोड़ तक टर्नओवर की बाध्यता होती थी, उसे हम घटाकर 25 लाख तक लाए हैं. हम नए लोगों को ऑफर दे रहे हैं. जो लोग टीपी के साथ मिलकर काम कर रहे थे, अब वह सीधे अपना काम कर सकेंगे. वह अब हमारे टीपी बन सकेंगे. हमारा पूरा प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा युवा प्रशिक्षित होकर रोजगार पा सकें.'