बसपा के काम नहीं आया दलित और मुस्लिम दांव, निकाय चुनाव में मिली बुरी शिकस्त - बसपा की न्यूज हिंदी में
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी को निकाय चुनाव में बुरी शिकस्त मिली है. बसपा को इस बार रणनीति बदलने का लाभ नहीं मिला. चलिए जानते हैं इस बारे में.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की स्थिति फिलहाल दुरुस्त होती नजर नहीं आ रही है. विधानसभा चुनाव 2022 में बुरी तरह मात खाने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी रणनीति में बदलाव भी किया, लेकिन इस बदलाव का कोई फायदा फिलहाल बहुजन समाज पार्टी को मिला नहीं. ब्राह्मणों की राजनीति से किनारा कर बीएसपी ने निकाय चुनाव में दलित मुस्लिम कांबिनेशन का मास्टर स्ट्रोक खेला था, लेकिन बीएसपी की स्ट्रेटजी जनता को लुभाने में कामयाब नहीं हुई. निकाय चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी को सोचने पर मजबूर कर दिया है. पार्टी को इस चुनाव में महापौर से लेकर नगर पालिका और नगर पंचायत में घाटा उठाना पड़ा है. इसके पीछे एक बड़ी अहम वजह भी है कि मायावती चुनाव प्रचार के लिए जमीन पर उतरती नहीं है और सतीश मिश्रा भी इस बार चुनाव में कहीं नजर नहीं आए.
2017 के निकाय चुनाव की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी ने 16 महापौर सीटों में से दो सीटों पर मेयर जिताने में कामयाबी हासिल की थी. मेरठ और अलीगढ़ सीट पर बहुजन समाज पार्टी के मेयर प्रत्याशी जीते थे. इस बार बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने दलित मुस्लिम का गठजोड़ बनाकर 17 में से 11 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन जब नतीजा आया तो मायावती की रणनीति बुरी तरह फेल हो गई. पिछले निकाय चुनाव में पार्टी ने जो दो महापौर की सीटें जीती भी थी वह भी उसके हाथ से निकल गईं. अब जिस तरह 2017 के निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी मेयर की एक भी सीट नहीं जीत पाई थी वही हाल 2023 के निकाय चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का हो गया है. भाजपा ने सभी 17 महापौर की सीटें जीतकर बीएसपी को दो से शून्य पर ला दिया है.
वहीं साल 2017 के 198 नगर पालिका के नतीजों की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी को 28 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल हुई थी, लेकिन इस बार का जो आंकड़ा आया है उसके मुताबिक बहुजन समाज पार्टी करीब 9 सीटें हार गई है. यानी उसके हाथ से नगर पालिका की भी नौ सीटें फिसल गई और पार्टी सिर्फ 19 सीट जीतने में ही सफल हो पाई है. पिछली बार के 2017 निकाय चुनाव में नगर पालिका में बसपा के अलावा भारतीय जनता पार्टी ने 67, समाजवादी पार्टी के 45 और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने नौ सीटों पर जीत दर्ज की थी.
साल 2017 के 438 नगर पंचायत के परिणामों की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी 45 सीट जीतकर हाथी दौड़ाने में सफल रही थी, लेकिन इस बार नगर पंचायत में भी बसपा की सीटें बढ़ने के बजाय घट गई हैं. इस बार की अभी तक 544 नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटों में से 488 सीटों का जो आंकड़ा सामने आया है उसमें बहुजन समाज पार्टी 42 सीट ही जीत पाई है जबकि भारतीय जनता पार्टी 198, समाजवादी पार्टी 78 और कांग्रेस सात सीटें जीत चुकी है.
बहुजन समाज पार्टी ने लखनऊ में 88 पार्षद प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, लेकिन जब निकाय चुनाव का परिणाम आया तो पार्टी को बड़ा झटका लगा. 88 पार्षद प्रत्याशियों में से बहुजन समाज पार्टी का सिर्फ एक प्रत्याशी ही जीतने में कामयाब हो पाया है. पार्टी का खाता जरूर खुला है. महात्मा गांधी बाढ़ विक्रमादित्य पार्टी के पार्षद प्रत्याशी अमित चौधरी ने चुनाव जीतकर बहुजन समाज पार्टी का झंडा बुलंद किया है. पिछली बार 2017 के निकाय चुनाव में अमित चौधरी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और पार्षद बने थे. इस बार कांग्रेस पार्टी ने टिकट काटा तो उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की शरण ली. पार्टी ने टिकट दिया और उन्होंने पार्टी की झोली में पार्षद सीट डाल दी.
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