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साइबर ठगों ने अपनाया नया पैंतरा, जज से लेकर साइबर एक्सपर्ट तक को यूं ठग रहे - Cyber ​​Crime Station in lucknow

यूपी में साइबर ठग अलग-अलग हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. इसके लिए अपराधी नई-नई ट्रिक भी आजमा रहे हैं, जिसके जाल में जनता से लेकर अधिकारी भी फंस रहे हैं.

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साइबर ठगों

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Published : Jul 22, 2022, 5:00 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साइबर ठगों का आतंक बढ़ता जा रहा है. आम जनता ही नहीं बल्कि साइबर क्रिमनल्स को पकड़ने और लोगों को ठगी से बचाने वाले जिम्मेदार भी शिकार हो रहे हैं. ऐसा ही मामला लखनऊ में सामने आया है. चौकांने वाली बात है कि साइबर क्राइम थाने के दारोगा ने ठग के झांसे में आकर हजारों रुपये गंवा दिए. दूसरी ओर हाईकोर्ट के जज को भी साइबर ठगों ने ठगने की कोशिश की.

जानकारी देते हुए साइबर सलाहकार राहुल मिश्रा

साइबर क्राइम थाने में तैनात दारोगा के उड़ाए 49 हजार
लखनऊ के साइबर क्राइम थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर राहुल सोनकर को एसबीआई बैंक के नाम से एक मैसेज आया था. उसमें कहा गया था कि लिंक पर क्लिक कर KYC करें. दारोगा राहुल सोनकर ने जैसे ही KYC करने के लिए लिंक खोला उनके एकाउंट से 49962 रुपये कट गए. उन्हें यह समझ में आ गया कि जिन साइबर क्रिमनल्स को पकड़ने के लिए वो दिन रात काम करते हैं, उन्हीं क्रिमनल्स ने उन्हें ठग लिया है. इसके बाद उन्होंने विभूतिखंड थाने में मुकदमा दर्ज कराकर अपने पैसे वापस दिलाने के लिए प्रार्थना की है.

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बिजली कनेक्शन काटने के नाम पर HC के जज को ठगने की कोशिश
इसी तरह इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज को भी ठगने की कोशिश जालसाजों ने की. लखनऊ के विभूतिखंड थाने में हाई कोर्ट के स्टाफ द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई थी. उसके मुताबिक, जज के व्यक्तिगत मोबाइल नंबर पर बिजली विभाग के नाम पर एक मैसेज आया, जिसमें यह कहा गया कि आपका बिजली का बिल जमा नहीं है. अगर आज की तारीख में नहीं जमा किया तो बिजली का कनेक्शन काट दिया जाएगा. बिल जमा करने के लिए ठगों ने एक एप्लिकेशन इंस्टॉल करने के लिए भी कहा था. हालांकि जज साइबर क्राइम के प्रति जागरूक थे, जिस कारण उनके खाते की रकम बच गयी.

क्या कहते है जिम्मेदार?
साइबर सेल के प्रभारी निरक्षक रणजीत राय के मुताबिक, सायबर ठग यूपी के बाहर से अपना नेक्सस चलाते है, जिसमें ज्यादातर पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा और राजस्थान के हैं. इनसे निपटने की तरकीब साइबर विशेषज्ञ के पास भी नहीं है. इससे बचने का एक मात्र रास्ता जागरूकता है, जो जागरूक है उसके साथ साइबर ठगी नहीं हो सकती है. साइबर एक्सपर्ट और यूपी पुलिस के साइबर सलाहकार राहुल मिश्रा बताते हैं कि साइबर क्राइम थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर के साथ जो क्राइम हुआ है, वो सिर्फ लापरवाही के चलते हुए है. न्यायिक अधिकारी को उनकी जागरूकता ने बचाया है. राहुल कहते हैं कि साइबर ठग नए-नए ढंग ठगने के लिए अपनाते है. इसके लिए जरूरी है कि जागरूक रहने की. KYC जैसे मैसेज का रिप्लाय नहीं करना चाहिए. इसके लिए बैंक की अधिकारिक वेबसाइट के जरिये ही KYC करें.

ठगी होने पर इस नंबर करें फोन
साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर '155260' है. ये सोमवार से शुक्रवार यानी वर्किंग डे पर सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक ओपन रहता है. इस पर किसी भी नंबर से कॉल कर सकते हैं. इसके अलावा, आप घर बैठे भारत सरकार की वेबसाइट www.CyberCrime.Gov.in पर क्लिक करके ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करा सकते हैं. इसमें लड़कियों के लिए खास ऑप्शन हैं कि चाहें तो वह अपनी पहचान छिपाकर भी शिकायत दर्ज करा सकती हैं.

ऐसे करें शिकायत
अब जैसा कि आप www.CyberCrime.Gov.in वेबसाइट के होम पेज पर देख रहे हैं कि Report Women/Child Related Crime और Report Other Cyber Crime का ऑप्शन है. इसलिए अगर साइबर क्राइम से पीड़ित कोई महिला या नाबालिग है तो Report Women/Child Related Crime के ऑप्शन को क्लिक करना होगा. इसे क्लिक करने के बाद Report का एक और ऑप्शन मिलेगा, जिसके बाद File A Complaint का बटन क्लिक करें और अपनी डिटेल लिख दें. इसके बाद I Accept का बटन दबाएं. हालांकि इस रिपोर्ट को दर्ज कराने के लिए आपको User Id की जरूरत होगी. इसलिए आप खुद ही पहले Login बना लें. ध्यान रहे जिस मोबाइल नंबर से आप लॉग इन बनाएंगे, उसी नंबर पर एक OTP भी आएगा. लॉग इन बनाने के बाद आप आसानी से अपना एरिया चुनकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

ईमेल के जरिये करें शिकायत
इसके अलावा आप चाहें तो ईमेल के जरिए भी अपनी शिकायत भेज सकते हैं. अपने एरिया के साइबर क्राइम अधिकारी का ईमेल आईडी और नंबर जानने के लिए cybercrime.gov.in की वेबसाइट पर ही Contact Us के बटन को क्लिक करना होगा. इसके बाद आपको सभी राज्यों के नोडल अधिकारियों की एक पीडीएफ फाइल मिल जाएगी, जिसमें से आप फोन नंबर और ईमेल आईडी प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि ईमेल पर भेजी गई शिकायतों पर कार्रवाई होने की संभावना कम ही रहती है.

ये तो रही सरकारी साइबर क्राइम हेल्पलाइन की बात. आखिर में हम आपको बता दें कि काफी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो पुलिस में शिकायत करने के बाद भी परेशान होते हैं. आखिर आगे कैसे कार्रवाई हो या फिर कई बार किसी ब्लैकमेलिंग के शिकार होते हैं और उसे किसी को बता ही नहीं पाते हैं, जैसे आजकल डेटिंग ऐप या फिर न्यूड वीडियो कॉलिंग कर काफी संख्या में लोगों को ब्लैकमेल किया जा रहा है. उन्हें डराया जा रहा है.

एडीजी साइबर क्राइम राम कुमार की मानें तो केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर '155260' को 16 जून से 112-यूपी से भी जोड़ा गया है. ठगी की शिकायत मिलने के तत्काल बाद शिकायत नंबर के साथ विस्तृत जानकारी उस बैंक या ई-वॉलेट के पास भेज दी जाती है, जिस बैंक में ठगी का पैसा गया होता है. बैंक के सिस्टम में यह जानकारी फ्लैश करने लगती है. यदि पैसे संबंधित बैंक या ई-वॉलेट के पास ही हैं तो वह उसे तत्काल फ्रीज कर देगा. यदि पैसा किसी और बैंक या ई-वॉलेट में चला गया है तो वह उसे संबंधित बैंक या ई-वॉलेट को भेज देगा. यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी, जब तक उस पैसे की पहचान कर उसे फ्रीज नहीं कर दिया जाता है.

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