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लखनऊ: विधानभवन में सीपीए सम्मेलन का आयोजन, दिग्गज बोले- संसदीय प्रणाली हो मजबूत

यूपी विधानभवन में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सातवें सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन की शुरुआत ओम बिरला ने दीप प्रज्वलित कर की. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, सीएम योगी, मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन, नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी आदि लोगों ने अपने मत रखे.

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विधानभवन में सीपीए सम्मेलन का आयोजन.

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Published : Jan 16, 2020, 1:20 PM IST

लखनऊ:विधानभवन में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ का सातवें सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने पार्लियामेंट्री एसोसिएशन कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर स्वागत भाषण के दौरान कहा कि सामाजिक बदलाव की स्थिति पूरे विश्व में बदली है, इसलिए कॉमनवेल्थ देशों में भी बदलाव की जरूरत है. हमें ऐसी व्यवस्था करनी है कि आपसी सामन्जस्य से संसदीय गतिरोध रोकने के लिए गहन विचार किया जाए.

यूपी ने देश को दिए 9 प्रधानमंत्री
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि यह वो प्रदेश है, जिसने देश को नौ प्रधानमंत्री दिए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यूपी की वाराणसी से ही सांसद हैं. उन्होंने कहा कि इसके पहले पटना में भी इस तरह का सम्मेलन हुआ था. इस पर मुख्यमंत्री के कहने पर पिछले दिनों गांधी जयंती पर 36 घंटे अनवरत सत्र चला था. उन्होंने कहा कि यह सदन ऐतिहासिक सदन है, जो देश की सबसे बड़ी जनसंख्या का नेतृत्व करता है. यहां हम दो दिन तक विचार-विमर्श करेंगे.

स्पीकर की भूमिका होती है सबसे महत्वपूर्ण
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने सीपीए सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस विधानसभा में कितनी सार्थक बहस हो चुकी है. मेरा सौभाग्य रहा कि यहां के दोनों सदन का सदस्य रहा हूं. स्पीकर की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है. जनता के मन को समझता है, जिस तरह से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के दिशा निर्देशन में विधेयक पारित हुए हैं. उसले लिए ओम बिड़ला की भूमिका सराहनीय है.

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उन्होंने कहा कि सत्ता का काम सरकार चलाना होता है. उसी तरह विपक्ष को अपनी बात कहने का हक होता है पर दोनों पक्षों को बोलने के लिए लक्ष्मण रेखा नहीं पार करनी चाहिए. लेकिन संसदीय भाषा का क्षरण हो रहा है, जो कि चिंता की बात है. सदन में मर्यादा बनाए रखनी चाहिए और किसी के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए, क्योंकि यही सच्चे लोकतंत्र की पहचान होती है. सदन को ठीक से चलाया जाना चाहिए, जिससे नए भारत को एक नई दिशा मिलनी चाहिए और यह हम सबकी जिम्मेदारी है. आलोचना होनी चाहिए पर शब्दों की सीमा में रहकर ही भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए और साथ ही आचरण का भी ख्याल रखा जाना चाहिए.

सदन को चलाने के लिए दोनों पक्षों को करना होगा गंभीरता से विचार
नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि यूपी विधानसभा का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. भारत की संसदीय व्यवस्था की दुनिया मे अलग साख है. सभी को स्वतंत्रता का अधिकार है. ऐसी कोई विधि नहीं है, जो अधिकारों को छीनती हो. यहां सभी धर्मों को स्वीकार किया जाता है. संसदीय लोकतंत्र मजबूत हो. इसका संदेश यूपी से पूरे देश मे जाना चाहिए. संसदीय प्रणाली में विपक्ष की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है.

चौधरी ने कहा कि सदन में उठाए जाने वाले मामले जनता के होते हैं न कि किसी दल के होते हैं. उन्होंने कहा कि सदन में व्यवधान उत्पन्न होता है, यह ठीक नहीं है. सदन को चलाने के लिए दोनों पक्षों को गंभीरता से विचार करना चाहिए. मुझे लगता है कि यहां से कुछ संदेश जरूर निकलेगा.

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