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Court of Assembly : 19 साल पहले मुलायम का पुतला जलते ही विधायक बिश्नोई पर बरसने लगी थीं लाठियां - यूपी की खबर

15 सितंबर 2004 उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में बिजली व्यवस्था पर कानपुर के जनरलगंज सीट से भाजपा के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई अपने दल बल के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का पुतला लेकर प्रदर्शन करने निकले. बाबूपुरवा के बड़ा चौराहा पर पुलिस ने रोका. इसी दौरान मुलायम सिंह यादव का पुतला जला दिया गया. इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया.

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Published : Mar 3, 2023, 5:23 PM IST

लखनऊ :उत्तर प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को 34 साल बाद शुक्रवार को अदालत लगी. सदन में बनाए गए कठघरे में छह पुलिसकर्मी पेश हुए. विधायक के विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के दोषी इन सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा अध्यक्ष ने एक दिन की सजा सुनाई है. सजा तीन मार्च रात 12 बजे तक की होगी. इस दौरान सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा में ही बनी लॉकअप में रखा जाएगा. इससे पहले विधानसभा में 1989 में अदालत लगी थी. आइए जानते हैं कि आखिर क्या हुआ था 19 साल पहले जिसके कारण सदन के कठघरे में छह पुलिसकर्मियों को खड़ा होना पड़ा?

बीजेपी ने पूरे प्रदेश में बिजली संकट पर खोला था मोर्चा : तारीख 15 सितंबर 2004 उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. उस दौरान राज्य में बिजली संकट से पूरी प्रदेश की जनता त्रस्त थी. बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केसरी नाथ त्रिपाठी ने ऐलान किया कि राज्य की सभी विधान सभा में बीजेपी कार्यकर्ता, संबंधी विधायक, पूर्व विधायक बिजली कटौती के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे और जिले के जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा. ऐसे में राज्य के हर विधानसभा की ही तरह कानपुर के जनरलगंज सीट से भाजपा के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई भी अपने दल बल के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का पुतला लेकर जिलाधिकारी कार्यालय की ओर निकल पड़े. उनके साथ कुछ बीजेपी कार्यकर्ता जिसमें धीरज गुप्ता, सरदार जसविंदर, दीपक मेहरोत्रा शामिल थे. वे सब बाबूपुरवा के बड़ा चौराहा पहुंचे और वहां भारी संख्या में पुलिस बल को देख कर नारेबाजी करने लगे. वहीं पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का पुतला जलाया गया.

9 साल पहले मुलायम का पुतला जलते ही विधायक बिश्नोई पर बरसने लगी थीं लाठियां



CM का पुतला जलते ही विधायक पर चलने लगीं लाठियां : जैसे ही सलिल विश्नोई और उनके समर्थकों ने पुतला जलाया तो पुलिस ने उन्हें आगे जाने से रोकना शुरू कर दिया. तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहते हैं कि वो बिजली कटौती को लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी कानपुर अरविंद कुमार को ज्ञापन देना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया. यही नहीं थोड़ी ही देर में पुलिस बल उन पर हावी हो गया. तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद और तत्कालीन इंस्पेक्टर ऋषिकांत शुक्ला, एसआई त्रिलोकी सिंह, हेड कांस्टेबल छोटे सिंह, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया. उन पर लाठियां डंडे चलाए गए, वे चिल्लाते रहे, लेकिन पुलिस की लाठियां तब तक नहीं रुकीं जब तक वे बेहोश नहीं हो गए.

पैर टूटने पर अस्पताल की जगह ले गए पुलिस लाइन : बिश्नोई ने बताया कि उनका पैर टूट चुका था, उनके शरीर पर चोट आई थी और जब पुलिस को उन्हें अस्तपाल के जाना चाहिए था तब उन्हें पुलिस लाइन ले जाया गया. उन्होंने खुद डॉक्टर को बुलाया और जब उन्होंने पुलिसकर्मियों को बताया कि उनका पैर फ्रैक्चर हो गया है तब जाकर उन्हें जिला चिकित्सालय भेजा गया। बिश्नोई ने 25 अक्टूबर, 2004 को विधान सभा अध्यक्ष से शिकायत की थी कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें लाठी से जमकर पीटा और भद्दी गालियां भी दीं. जब उन्होंने विधायक के रूप में अपना परिचय दिया तो अब्दुल समद ने कहा कि 'मैं बताता हूं कि विधायक क्या होता है.

एक दिन की पुलिसकर्मियों को दी गई सजा : विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने 28 जुलाई, 2005 को अपनी रिपोर्ट में अब्दुल समद समेत पांच अन्य पुलिसकर्मियों को विशेषाधिकार हनन व सदन की अवमानना का दोषी पाया. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में अठारहवीं विधान सभा की विशेषाधिकार समिति ने 1 फरवरी और 27 फरवरी को बैठक की और इन सभी पुलिसकर्मियों को कारावास का दंड देने की सिफारिश की गई है. इसके बाद शुक्रवार को कटघरे में सभी दोषी 6 पुलिसकर्मी सदन में पेश हुए. विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के दोषी इन सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा अध्यक्ष ने एक दिन की सजा सुनाई है. सजा 3 मार्च रात 12 बजे तक की होगी. इस दौरान सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा में बनी सेल के लॉकअप में रखा गया है.

दोषी पुलिसकर्मी में एक अधिकारी बन गए थे IAS : कानपुर में तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई का विशेषाधिकार हनन के मामले में जिन 6 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया, उनमें तब के क्षेत्राधिकार अब्दुल समद बाद में प्रशासनिक सेवा में आ गए थे. इसके बाद वह आईएएस के पद से हाल ही में रिटायर हो गए. वहीं, ऋषिकांत शुक्ला, त्रिलोकी सिंह, छोटे सिंह, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह अभी पुलिस सेवा में हैं.

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