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इन 'मेहमान' नेताओं के आगे नतमस्तक हुआ कांग्रेस हाईकमान, बदलने पड़े फैसले - up congress

कांग्रेस को पार्टी के कुछ नव नेताओं के आगे नेताओं के आगे नतमस्तक होना पड़ रहा है और इनके विचारों को ध्यान में रखते हुए हाईकमान को अपने फैसले तक बदलने पड़ रहे हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि जिन नेताओं के आगे हाईकमान को झुकना पड़ रहा है वह नेता किसी न किसी रूप में कांग्रेस पार्टी में 'मेहमान' हैं.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर

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Published : Mar 29, 2019, 3:23 PM IST

लखनऊ :उत्तर प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं के आगे पार्टी हाईकमान को नतमस्तक होना पड़ रहा है. जिसके चलते हाईकमान को अपने फैसले तक बदलने पड़ रहे हैं. मजे की बात यह भी है कि जिन नेताओं के आगे हाईकमान को झुकना पड़ रहा है वे नेता किसी न किसी रूप में कांग्रेस पार्टी में 'मेहमान' के तौर पर हैं.

इन नेताओं के आगे नतमस्तक हुआ कांग्रेस हाईकमान, बदलने पड़े फैसले


बात हो रही है उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए घोषित उम्मीदवारों की. इनमें पहला नाम यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर का है. राज बब्बर समाजवादी पार्टी से कांग्रेस पार्टी में आए थे, लेकिन कांग्रेस में इस कदर अपना जादू बिखेरा कि राज्यसभा सांसद के साथ ही उन्हें यूपी जैसे राज्य का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. इस बार पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें मुरादाबाद से उम्मीदवार बनाया, लेकिन यह सीट राज बब्बर को नांगवार गुजरी और उन्होंने इसका विरोध किया. इसके बाद हाईकमान को झुकना पड़ा और उन्हें उनकी मनपसंद सीट फतेहपुर सीकरी से प्रत्याशी बनाना पड़ा.

राज बब्बर की ही तरह नसीमुद्दीन सिद्दीकी का भी कांग्रेस में खासा अस्तित्व है. बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में आए नसीमुद्दीन सिद्दीकी का पार्टी ने स्वागत करते हुए राष्ट्रीय महासचिव बनाया. इसके बाद इस लोकसभा चुनाव में उन्हें बिजनौर सीट से चुनाव लड़ना था, जिसकी उन्होंने तैयारी के साथ दावा भी ठोंका था, लेकिन पार्टी ने बिजनौर सीट पर इंदिरा भाटी को प्रत्याशी घोषित कर दिया. जिससे नसीमुद्दीन सिद्दीकी खफा हुए और इसकी जानकारी हाईकमान को हुई. नसीमुद्दीन सिद्दीकी की नाराजगी के बाद हाईकमान फिर नतमस्तक हुआ और इंदिरा भाटी से बिजनौर सीट छीनकर नसीमुद्दीन सिद्दीकी को गिफ्ट कर दी.

ऐसे ही एक और नेता पीएल पुनिया की बात की जाए तो वह भी बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए और यहां पर अपना राज्य स्थापित कर लिया. वहअनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष बने, राज्यसभा पहुंचे और इस बार जब लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी घोषित करने की बारी आई तो कांग्रेस ने उन्हें बाराबंकी से प्रत्याशी बनाने की ठानी, लेकिन पुनिया अपने बेटे तनुज पुनिया को सीट दिलाने के लिए अड़ गए. आखिरकार पीएल पुनिया के आगे भी कांग्रेस हाईकमान झुका और तनुज पुनिया को बाराबंकी की सीट दे दी.

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