लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के आर्ट डिपार्टमेंट का हाल बेहद खराब है. स्टूडेंट का कहना है कि यहां पर न तो साफ-सफाई होती है और न ही कोई फैसिलिटी प्रॉवाइड की जाती है. डिपार्टमेंट की ओर से जितनी भी सुविधाएं एक स्टूडेंट्स को मिलनी चाहिए वह सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं, जबकि बीए-बीएससी से अलग फाइन आर्ट्स के स्टूडेंट की फीस ज्यादा हाई है. बावजूद इसके डिपार्टमेंट की ओर से कोई भी व्यवस्था नहीं दी गई है. यहां तक कि क्लास में पढ़ाई करने के लिए स्टूडेंट्स के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. बेंच हैं तो वह टूटी हैं. मटके में स्टूडेंट्स पानी रखते हैं.
सामान्य तौर पर मूर्ति बनाने में मिट्टी, सीमेंट, पीओपी और चाक की आवश्यकता पड़ती है, जोकि स्टूडेंट्स को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से नहीं दिया जाता है. ऐसे में स्टूडेंट्स की जेब पर इन तमाम खर्चों का भार पड़ता है. ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि क्लास रूम में कितनी ज्यादा गंदगी है. न सिर्फ क्लासरूम बल्कि क्लास के बाहर पार्क में जहां स्टूडेंट पेंटिंग करते हैं, वहां भी काफी गंदगी है. जमीनों पर काई जमी हुई है. कुछ स्टूडेंट्स ने बताया कि कर्मचारी सफाई करने नहीं आते हैं. कभी आते हैं तो ऊपर-ऊपर से ही साफ करके चले जाते हैं. अच्छे से सफाई नहीं करते हैं. स्टूडेंट्स ने बताया कि क्लास में बैठने के लिए बेंच नहीं है, कुर्सी नहीं है. प्लास्टिक की कुर्सी स्टूडेंट्स खुद खरीद के लाए हैं, ताकि बैठकर काम कर सके.
फीस हाई, फैसिलिटीज लो
स्टूडेंट्स ने बताया कि बैचलर कोर्स की फीस 18 से 22 हजार रुपये तक है. वहीं, मास्टर कोर्स की फीस 40 से 60 हजार रुपये तक है. फाइन आर्ट्स का एक स्टूडेंट हजारों में फीस जमा कर रहा है, लेकिन डिपार्टमेंट की ओर से स्टूडेंट को पेंटिंग में लगने वाले सामान से लेकर क्लास में बैठने वाली कुर्सी तक उपलब्ध नहीं है. डिपार्टमेंट में स्टूडेंट के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं है. सभी स्टूडेंट्स ने कुछ पैसे कलेक्ट करके फिलहाल मटके लगवाए हैं, जबकि यह काम डिपार्टमेंट का है.