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केजीएमयू में हुआ कंधे का पूर्ण प्रत्यारोपण, बलरामपुर अस्पताल हो सकेगी रेटिना जांच - आर्थोपेडिक विभाग केजीएमयू

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में कंधे के पूर्ण प्रत्यारोपण की सफलता के साथ बलरामपुर अस्पताल में आंखों के इलाज के सुविधा मिलने के रास्ते साफ हो गए हैं. केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के विशेषज्ञ डॉ. कुमार शान्तनु के नेतृत्व में महिला के कंधे का सफल प्रत्यारोपण किया गया है. वहीं बलरामपुर अस्पताल में रेटिना जांच मशीन लगाने समेत कई उपकरणों की खरीद के लिए तीन करोड़ तीन लाख 11 हजार तीन सौ 58 रुपये का बजट मिला है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 9, 2023, 2:29 PM IST

लखनऊ : किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के आर्थोपेडिक विभाग के चिकिसकों ने 51 वर्षीय महिला के कंधे का पूर्ण प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया है. केजीएमयू में कूल्हे, घुटने आदि का विश्व स्तरीय प्रत्यारोपण पहले से हो रहा है. अब कंधे का पूर्ण प्रत्यारोपण पहली बार किया गया है. आर्थोपेडिक विभाग के विशेषज्ञ डॉ. कुमार शान्तनु ने बताया कि ऐसे मरीजों में जिनका कंधे का जोड़ पूरी तरह से नष्ट हो जाता है और उसकी मांसपेशियां और लिगामेंट आदि रिपेयर योग्य नहीं रहते हैं, उन्हें कंधे के जोड़ के प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है.

केजीएमयू लखनऊ में पूर्ण कंधा प्रत्यारोपण में मिली सफलता.



डॉ. कुमार शान्तनु के अनुसार गोंडा के वीरपुर गांव भोज निवासी महिला (51) को गठिया रोग था. जिसके कारण उसके दोनों कूल्हों का प्रत्यारोपण पहले ही केजीएमयू में सफलतापूर्वक किया गया था. पिछले एक साल से महिला के दोनों कंधों में दर्द व जकड़न बढ़ गई थी. जिसके कारण वह दोनों ही कंधे बिल्कुल नहीं उठा पाती थीं. यहां तक कि अपना दैनिक कार्य भी नहीं कर पा रही थीं. पहले हुए अपने दोनों कूल्हों के सफल प्रत्यारोपण के बाद उन्हें केजीएमयू पर पूरा भरोसा था. इसलिए वह दोनों कंधे दिखाने केजीएमयू आईं. समस्त जांचों के बाद उन्हें कंधे का प्रत्यारोपण कराना तय किया गया. बीते 6 नवंबर को उनके कंधे का पूरा प्रत्यारोपण हड्डी रोग विभाग में किया गया. इस शल्य चिकित्सा में विभागाध्यक्ष प्रो आशीष कुमार ने भी सहयोग किया.

केजीएमयू में हुआ महिला के कंधे का पूर्ण प्रत्यारोपण,

बलरामपुर अस्पताल में रेटिना जांच की तैयारी तेज

बलरामपुर अस्पताल में बढ़ेंगी सुविधाएं.

बलरामपुर अस्पताल में आने वाले मरीजों को अब रेटिना जांच के लिए केजीएमयू या पीजीआई के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. इन संस्थानों के जांच के लिए वेटिंग होने के चलते ऑपरेशन में लेट लतीफी होती है. शासन की ओर से उपकरण खरीदने के लिए बजट जारी कर दिया गया है. अस्पताल के निदेशक डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि अस्पताल में हर साल लगभग छह हजार नेत्र मरीजों का इलाज किया जाता हैं. जिनमें से करीब चार हजार मोतियाबिंद के ऑपरेशन होते हैं. अस्पताल में उपकरणों की कमी होने के चलते रेटिना की जांच अब तक अन्य संस्थानों या निजी अस्पताल से करवानी पड़ती थी. बजट पास होने से रेटिना की जांच मशीन खरीदी जाएगी. उपकरण खरीदने के लिए शासन से तीन करोड़ तीन लाख 11 हजार तीन सौ 58 रुपये का बजट मिला है.

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