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लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में कांग्रेस के सामने बढ़ेंगी चुनौतियां, सीटों के लिए तरसाएगी सपा!

देश के पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आ चुके हैं, जिसमें तीन राज्यों में बीजेपी ने जीत (Lok Sabha elections 2024) हासिल की है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली करारी हार के बाद हिंदी बेल्ट में कांग्रेस पार्टी के लिए क्या समस्याएं बढ़ेंगी? पढ़िए खास रिपोर्ट.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 4, 2023, 8:13 PM IST

Updated : Dec 5, 2023, 6:17 AM IST

लखनऊ :मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली करारी हार के बाद हिंदी बेल्ट में कांग्रेस पार्टी के लिए समस्याएं बढ़नी तय हैं. खासतौर पर सीटों के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौतियां होंगी. यदि इन राज्यों में कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव जीत जाती, तो शायद स्थिति अलग होती. अब जबकि कांग्रेस को भाजपा के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है, ऐसे में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ अपनी शर्तों पर गठबंधन करेगी. मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को सीटें नहीं दी थीं, जिस कारण सपा को अकेले चुनाव मैदान में उतरना पड़ा था. इन चुनावों के दौरान दोनों ही पार्टियों ने गठबंधन की मर्यादा का भी ध्यान नहीं रखा और एक दूसरे पर खूब कीचड़ उछाला था.

सपा मुखिया अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा दूसरा बड़ा दल :उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाजपा के बाद समाजवादी पार्टी दूसरा बड़ा दल है. कांग्रेस पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी सिर्फ अपनी परंपरागत रायबरेली सीट बचाने में कामयाब हो पाई थीं, जहां से सोनिया गांधी चुनकर संसद पहुंचीं थीं, जबकि उनके पुत्र राहुल गांधी अपनी अमेठी सीट भी भाजपा की स्मृति ईरानी से हार गए थे. ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी को गठबंधन के सहयोगी से उतनी सीटें मिल पाना बहुत कठिन है, जितने की वह अपेक्षा करती हैं. सपा के सामने अपने गठबंधन के दूसरे सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल की सीटों की मांग पूरी करने की चुनौती है. पार्टी को यह भी लगता है कि यदि उसने बड़ी संख्या में सीटें अपने सहयोगियों को दे दीं, तो पांच साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कार्यकर्ताओं में निराशा और भितरघात होगी, जिसका नुकसान भी सपा को होगा, इसलिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव गठबंधन के सहयोगियों को ज्यादा सीटें देना नहीं चाहेंगे.

सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी व राहुल गांधी (फाइल फोटो)
विधानसभा चुनाव में स्थिति
लोकसभा चुनाव 2019 में किस पार्टी को मिली कितनी सीट
बीजेपी 62
अपना दल (एस) 2
बीएसपी 10
सपा 5
कांग्रेस 1

राजनीतिक विश्लेषक डॉ प्रदीप यादव कहते हैं 'सपा की ताकत एम-वाई यानी मुस्लिम-यादव समीकरण रहा है. हाल के चुनावों में तेलंगाना में देखने को मिला है कि मुस्लिम समुदाय का रुझान ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के बजाय कांग्रेस के साथ रहा, जिसके कारण कांग्रेस वहां सत्ता में आई है. ऐसी स्थिति में सपा को उत्तर प्रदेश में भी यह डर सताता रहेगा कि कहीं उसका मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस की ओर शिफ्ट न हो जाए. इसका भी एक महत्वपूर्ण कारण है. सब जानते हैं कि यदि भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर कोई चुनौती दे सकता है, तो वह कांग्रेस ही है. ऐसे में मुस्लिम मतदाता सीधे कांग्रेस के पाले में भी जा सकते हैं. पिछले दो वर्षों में मुसलमानों को सपा से कई शिकायतें भी रही हैं. ऐसे में कोई ताज्जुब नहीं कि यह बड़ा वोट बैंक अपना मन बदल ले.'

लोकसभा चुनाव में स्थिति
यूपी में कांग्रेस की स्थिति
2014 के लोकसभा चुनाव में उप्र की दलीय स्थिति
भाजपा+अपना दल 73
सपा 5
कांग्रेस 2
बसपा 0

डॉ प्रदीप यादव कहते हैं 'कांग्रेस अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकती है. इनमें राष्ट्रीय लोक दल और बसपा से गठबंधन की उम्मीद की जा सकती है, हालांकि इन दलों का पूरे प्रदेश पर कोई जनाधार नहीं है. ऐसे में नया गठबंधन कांग्रेस के लिए कितना लाभकारी होगा, यह भी कहना मुश्किल है. एक बात और है, यदि कांग्रेस नया गठबंधन करती है, तब भी बसपा से उसे दो-चार होना पड़ेगा, क्योंकि 2019 में बसपा के दस सांसद जीतकर आए थे. ऐसे में उसका दावा भी बड़ा होगा. बसपा सुप्रीमो मायावती आसानी से मानने वाली नेता नहीं हैं, कांग्रेस को इसका भी इल्म जरूर होगा. ऐसे में यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी के लिए स्थितियां आसान नहीं है.'

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Last Updated : Dec 5, 2023, 6:17 AM IST

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