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योगी मंत्रिमंडल का विस्तार : 5 महीने में कितना काम कर पाएंगे नए मंत्री ?

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रविवार को योगी मंत्रिमंडल (Yogi cabinet) का विस्तार किया गया. लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि यूपी में अगले साल 2022 होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) से ठीक पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार (cabinet expansion) के बाद नए मंत्री चुनाव से पहले कितना काम कर पाएंगे.

योगी मंत्रिमंडल का विस्तार
योगी मंत्रिमंडल का विस्तार

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Published : Sep 27, 2021, 8:36 PM IST

लखनऊ : योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Dovernment) ने चुनाव से कुछ महीने पहले अपना मंत्रिमंडल विस्तार (cabinet expansion) करके चुनाव में सियासी लाभ लेने की कोशिश की है. चुनाव से ठीक पहले जातीय समीकरण साधने और प्रशासनिक कामकाज को रफ्तार देने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया है. लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि अगले साल मार्च के अंत तक प्रदेश में नई सरकार का गठन हो जाना है. ऐसे में संभावना है कि 15 दिसंबर के बाद प्रदेश में चुनावों की घोषणा हो सकती है, जिसके बाद आचार संहिता लागू हो जाएगी. ऐसे में इन नए मंत्रियों के पास काम करने के लिए सिर्फ ढाई से तीन महीने का वक्त बचा है. ऐसे में इस मंत्रिमंडल विस्तार से योगी सरकार (Yogi government) को क्या सियासी फायदा होगा और कामकाज की रफ्तार कैसे तेज आएगी.


इस मुद्दे को लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल से खास बातचीत की. उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में जितनी गुंजाइश थी, उतने मंत्री अभी तक बने नहीं थे. यह बात राजनीतिक तौर पर और प्रशासनिक तौर पर भी कही जा रही थी कि जो भी मंत्री हैं, उनके पास कामकाज का बंटवारा ठीक से नहीं हुआ है. कुछ मंत्रियों के पास ज्यादा काम है, तो कुछ के पास कम विभागों का दायित्व है. मंत्रियों की संख्या और बढ़ाई जानी चाहिए. इस तरह के संकेत मिल रहे थे कि पिछले कुछ महीने में मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी पर चल रही थी, लेकिन विस्तार नहीं हो पाया था, क्योंकि मुख्यमंत्री के स्तर पर सहमति नहीं बन पाई थी. अब जो मंत्री बढ़ाए गए हैं उनसे स्पष्ट है कि जाति और क्षेत्र के हिसाब से देखा जाए तो राजनीतिक कारण है. मुझे लगता है कि प्रशासनिक तौर पर अब मंत्रियों को जो विभाग दिए जाएंगे, उनको अपने आपको साबित करने की जिम्मेदारी कहीं ज्यादा होगी. बजाय उनके पहले से जो मंत्री हैं. उनका आकलन तो हो ही रहा है.

वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल से खास बातचीत
नए मंत्रियों के पास मुश्किल से 4-5 महीने का समय बचा है. इस दौरान यदि इन लोगों ने अच्छा काम किया और उम्मीदों पर खरे उतरे तो यह माना जा सकता है कि इनके नीचे के जो राजनीतिक समर्थक हैं, उन्हें ज्यादा महत्व मिलेगा. अभी जो मंत्री हैं, उनमें से कई ठीक काम नहीं कर रहे हैं और मुख्यमंत्री और बीजेपी उन्हें हटाना चाह रहे थे, लेकिन राजनीतिक कारणों से नहीं हटाया जा सका. अब अगर यह मंत्री अच्छा काम करते हैं, तो इन्हें अधिक तवज्जो देकर कम काम करने वाले मंत्रियों का महत्व कम किया जा सकता है. आने वाले चुनावों में मुझे लगता है टिकट वितरण पर भी इसका असर पड़ेगा. प्रशासनिक तौर पर सरकार की दृष्टि से अगर देखें, तो सरकार के कई ऐसे विभाग हैं, जहां पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया. अगर इन मंत्रियों की वजह से अगले कुछ महीनों में वहां अच्छा काम होता है, तो सरकार को अपनी छवि सुधारने का मौका मिलेगा.
वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल से खास बातचीत


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मंत्रियों के पोर्टफोलियो बंटवारे के सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल कहते हैं कि इन मंत्रियों का जो भी काम होगा, उसके आधार पर इनका आकलन हो जाएगा. इन मंत्रियों को वह पोर्टफोलियो दिए जाएंगे, जो पहले से मंत्रियों के पास हैं. अथवा दूसरे विभाग इन मंत्री को दिए जाएंगे. अगर मंत्रियों के पास जो विभाग पहले से हैं और इन नए लोगों को वह दिए जाते हैं, तो इससे स्पष्ट संकेत है कि सरकार उन मंत्रियों के काम से खुश नहीं है और नए मंत्रियों को उन विभागों की जिम्मेदारी दी है. सरकार को चुनाव से पहले अपने काम पर ध्यान देना है. इसी रणनीति पर मंत्रिमंडल विस्तार किया गया है.

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