लखनऊःयूपी विधानसभा चुनाव-2022 से पहले जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव काफी अहम माना जा रहा है. मतगणना के बाद भाजपा ने 75 में से 67 सीटों पर कब्जा जमाया है. 1 सीट बीजेपी की सहयोगी अपना दल को मिली हैं. समाजवादी पार्टी को मात्र 5 सीटों से संतोष करना पड़ा है. इसके अलावा लोकदल, निर्दलीय और जनसत्ता दल को 1-1 सीट मिली है. इन आंकड़ों से साफ होता है कि बीजेपी ने पंचायत चुनाव में अपना परचम लहराया है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि कुछ ऐसे भी जिले हैं, जहां बीजेपी की जीत तय मानी जा रही थी. लेकिन, मतगणना के बाद पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है.
इटावाः बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर पार्टी को जीत दिलाने और सपा के गढ़ में भगवा ध्वज लहराने का दावा किया था, लेकिन इटावा में जीतना तो दूर की बात रही, बीजेपी तो अपना उम्मीदवार तक भी नहीं उतार सकी. इस तरह योगी राज में भी सपा ने इटावा में अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल रही. सपा के अंशुल यादव निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं. इटावा में बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में दो सीटों और 2014-2019 में इटावा संसदीय क्षेत्र पर काबिज जमाया था. इसके उलट पंचायत चुनाव में महज एक जिला पंचायत सदस्य ही जिता पाई है.
प्रतापगढ़ः पंचायत चुनाव के दौरान राजा भैया और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी की दोस्ती ने राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं. नतीजा ये हुआ कि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत गईं. जनसत्ता दल लोकतांत्रिक उम्मीद्वार माधुरी पटेल जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं हैं. एक तरफ जहां जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी जीत का जश्न मना रही है, वहीं भाजपा हार से मुंह छुपा फिर रही है.
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लोकसभा, विधानसभा से लेकर योगी मंत्रिमंडल में प्रतापगढ़ के जनप्रतिनिधियों का नेतृत्व है. जिले में सांसद संगम लाल गुप्ता, चार विधायक और राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह कैबिनेट मंत्री (ग्राम्य विकास एवं समग्र ग्राम विकास विभाग) के होते हुए भी बीजेपी को करारी हार मिली है. कुल 40 मतों में से भाजपा प्रत्याशी क्षमा सिंह को महज तीन वोटों के साथ हार का मुंह देखना पड़ा. राजा भैया समर्थित प्रत्याशी माधुरी पटेल ने सपा प्रत्याशी अमरावती से 34 वोटों से जीत हासिल की.
बलियाःजिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को यूपी विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था. इसमें बीजेपी ने 67 सीटों पर कब्जा जमाया है, लेकिन हैरानी होती है कि जिस जिले में भाजपा के चार सांसद (नीरज शेखर, वीरेंद्र सिंह मस्त, सकल दीप राजभर, राकेश सिंह) 5 विधायक (आनंद स्वरूप, उपेन्द्र तिवारी, सुरेंद्र सिंह, संजय यादव, धनंजय कनौजिया) योगी मंत्रिमंडल में दो मंत्री ( आनंद स्वरूप और उपेन्द्र तिवारी) होने के बावजूद जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हार गई. लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक कमल खिलाने के बाद भी पंचायत चुनाव में मिली हार किसी के गले नहीं उतर रही. बलिया में सपा प्रत्याशी आनंद चौधरी ने जीत हासिल की है. 57 मतों में से सपा को कुल 33 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी सुप्रिया चौधरी को 24 मत ही प्राप्त हुए.
संत कबीर नगरः जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में सपा और भाजपा के बीच सीधी टक्कर रही. इस टक्कर में सपा ने बाजी मार ली. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा प्रत्याशी बलिराम यादव को जीत मिली है. सपा प्रत्याशी बलिराम यादव को 18 मत मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी कृष्ण कुमार चौरसिया को 12 मत मिले. वहीं भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2017 में अपना परचम लहराया था. एक सांसद और तीन विधायक होने के बावजूद पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हार गई.
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एटाः जिले में भाजपा से राजवीर सिंह सांसद हैं. साथ ही इनके पिता कल्याण सिंह यूपी के पूर्व मूख्यमंत्री भी रह चुके हैं. कल्याण सिंह के पोते संदीप राजवीर सिंह योगी सरकार में मंत्री हैं. इसके बावजूद जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बीजेपी की हार किसी के गले नहीं उतर रही है. सपा के गढ़ के रूप में पहचान बना चुके एटा में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा तो दूर, सत्ताधारी दल भाजपा छू तक नहीं सकी. जिले में पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने फिर जीत का परचम लहराया है. सपा की ओर से घोषित प्रत्याशी रेखा यादव जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं. एकतरफा मुकाबले में उन्हें 24 मत और भाजपा प्रत्याशी विनीता यादव को कुल चार मत मिल सके.