लखनऊ:साइबर जालसाजों ने राजधानी स्थित बलरामपुर अस्पताल में प्रसव की सुविधा नहीं होने के बावजूद 41 शिशुओं के जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिए. जालसाजों ने सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) पर अस्पताल की आईडी हैक कर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया. इसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन को महारजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) दिल्ली की ओर से इसी अगस्त में मिली है.
अस्पताल के निदेशक डॉ. रविंद्र श्रीवास्तव ने वजीरगंज कोतवाली में शनिवार को मुकदमा दर्ज कराया है. पुलिस साइबर सेल की मदद से जांच शुरू कर रही है. फिलहाल, पोर्टल कहां से हैक किया गया है. इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है. बलरामपुर अस्पताल से जारी किए गए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लखनऊ समेत आस-पास के जिलों के जारी हुए हैं. पुलिस ने सभी दस्तावेज एकत्र कर लिए हैं. पुलिस प्रमाण पत्र पर दर्ज नवजात के परिजनों से पूछताछ कर रही है. निदेशक डॉ. रविंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, बलरामपुर अस्पताल में सिर्फ मृत्यु प्रमाण पत्र बनते हैं. यहां, महिलाओं के प्रसव की कोई सुविधा नहीं है. इसलिए जन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाते. प्रकरण से जुड़ी की रिपोर्ट सीएमओ को भेज दी गई है. अस्पताल के पोर्टल की आईडी और पासवर्ड को भी बदल दिया गया है.
बलरामपुर हॉस्पिटल की पोर्टल ID हैक, 41 शिशुओं के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी
साइबर जालसाजों ने बलरामपुर हॉस्पिटल की पोर्टल आईडी को हैक कर फर्जी तरीके से 41 शिशुओं के जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिए. बलरामपुर निदेशक ने वजीरगंज कोतवाली में दर्ज कराया मुकदमा. पुलिस साइबर सेल की मदद से मामले की जांच कर रही है.
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निदेशक ने बताया कि अक्टूबर 2015 से मृत्यु प्रमाण पत्र इसी पोर्टल से जारी हो रहे हैं. अस्पताल में करीब एक माह से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं, लेकिन संशोधन में काफी परेशानी आ रही थी. दिल्ली स्थित महारजिस्ट्रार को भनक लगने पर हर दूसरे दिन पोर्टल बंद किया जा रहा था. 16 अगस्त को आईडी बंद होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र और संशोधन के लिए कई लोग अस्पताल पहुंचे थे. अपर रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र ने सीएमओ से शिकायत दर्ज कराई है. स्वास्थ्य महानिदेशालय से जन्म-मृत्यु विभाग के विशेषज्ञ बलरामपुर अस्पताल आकर जांच की. इसमें 41 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का मामला सामने आया. मामले की पूरी रिपोर्ट केंद्र को भेजकर फर्जी प्रमाण पत्र को रद्द करने की सिफारिश की गई है.
वजीरगंज इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय के मुताबिक, साइबर क्राइम सेल की मदद से हैकर को तलाशने का प्रयास किया जा रहा है. अस्पताल के लिए जारी हुई आईडी किस कंप्यूटर और कहां से ऑपरेट की गई थी. इसकी जानकारी आईपी एड्रेस की डिटेल आने पर पता चलेगी.