लखनऊः22 जुलाई की सुबह गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी को कुछ लोगों ने सिर में गोली मार दी थी. अपनी भांजी के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने पर पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या कर दी गई. इस वारदात के बाद गाजियाबाद पुलिस की जमकर किरकिरी हुई है. विक्रम पहले ही छेड़खानी की शिकायत कर अपनी हत्या की आशंका जता चुके थे. इस हत्या के बाद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत पूरे विपक्ष ने योगी सरकार को निशाने पर लिया है.
यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में किसी पत्रकार की हत्या हुई हो, बल्कि इससे पहले भी कई पत्रकारों पर हमले हुए हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2013 में उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर सबसे ज्यादा हमले हुए थे. बात करें 2013 की तो यूपी में पत्रकारों पर हमले के 67 केस दर्ज किए गए थे. पत्रकारों पर हमले के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर था, जहां 50 केस दर्ज हुए. वहीं इस मामले में 27 केस के साथ बिहार तीसरे स्थान पर था. 5 अप्रैल 2020 से 11 जून 2020 के बीच भी पत्रकारों को पुलिस की ओर से प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है. अभी भी अपराधियों के हाथों मारे गए कई पत्रकारों के परिवार वाले इंसाफ की आस लगाए बैठे हैं.
भू- माफिया ने ली थी शुभम मणि त्रिपाठी की जान
19 जून 2020 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के लोकल हिंदी सांध्य दैनिक के रिपोर्टर शुभम मणि त्रिपाठी की दो हमलावारों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. शुभम मणि त्रिपाठी को उस वक्त तीन गोलियां मारी गई थीं, जब वह दूध मंडी से अपने दोस्त के साथ बाइक पर अपने घर की ओर वापस जा रहे थे. शुभम को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी. शुभम लगातार अखबार और सोशल मीडिया के जरिए क्षेत्र में हो रहे बालू की काला बाजारी और भू माफियाओं के काले कारनामों को उजागर कर रहे थे.
उन्नाव पुलिस के मुताबिक ठेकेदार दिव्या अवस्थी ने ही पत्रकार की हत्या की सुपारी दी थी. दरअसल, शुभम ने दिव्या के खिलाफ एक आर्टिकल लिखा था, जिसमें उन्होंने दिव्या के ऊपर आरोप लगाया था कि वह अवैध निर्माण करा रही है. हालांकि प्रशासन ने शुभम के आर्टिकल को संज्ञान में लेकर जांच कर उस काम को नष्ट कर दिया था.
गला रेतकर की गई थी राधेश्याम शर्मा की हत्या
कुशीनगर जिले के दुबौली गांव में 55 साल के पत्रकार राधेश्याम शर्मा की हत्या गला रेतकर कर दी गई थी. राधेश्याम जिले के लोकल अखबार में काम करते थे. 10 अक्टूबर 2019 को राधेश्याम दुबौली गांव के पास से अपनी बाइक से जा रहे थे. उस दौरान दो हमलावारों ने उन्हें रोका और उनका गला रेत दिया. वहीं मामले की पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की तो आपसी रंजिश का मामला सामने आया.
पड़ोसियों ने कराई थी आशीष की हत्या
सहारनपुर जिले में 18 अगस्त 2019 को प्रसिद्ध अखबार के एक फोटो जर्नलिस्ट आशीष और उसके भाई आशुतोष की हत्या कर दी गई थी. गाय के गोबर के हटाने को लेकर आशीष के पड़ोसियों ने उसकी हत्या करवा दी थी.
खनन माफियों ने ले ली राजेश मिश्रा की जान
21 अक्टूबर 2017 को गाजीपुर में एक प्रसिद्ध अखबार के एक स्ट्रिंगर राजेश मिश्रा की हत्या कर दी गई थी. बता दें कि राजेश अपने भाई की दुकान के बाहर खड़े थे तभी हमलावारों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. वहीं पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि जिले का ही रहने वाला राजू यादव राजेश मिश्रा की ओर से छापी गई खबरों से नाराज था. राजेश मिश्रा राजू यादव की ओर से किए गए अवैध रेत खनन और शराब तस्करी को लेकर खबरें छापते थे.