लखनऊ: विधानसभा शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में नोएडा में हाउसिंग प्रोजेक्ट की समय सीमा और कामकाज में वित्तीय लेन-देन की गड़बड़ी को लेकर सवाल खड़े किए. खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती सपा-बसपा सरकार के कार्यकाल के दौरान नोएडा में नोएडा प्राधिकरण द्वारा तमाम वित्तीय अनियमितता हुईं और लोगों को फ्लैट व प्लॉट आवंटन में अनियमितता बरती गई.
सदन के पटल पर रखी गई कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा आवंटित परियोजनाओं में से करीब 63 फीसदी समूह या तो अपूर्ण हैं या आंशिक रूप से पूर्ण हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी में भूमि अधिग्रहण और संपत्तियों के आवंटन में अनियमितता बरती गई. सीएजी ने संपत्तियों की लागत, एफएआर और जीसी के अतिरिक्त भत्ते के लिए कोई नीतिगत ढांचे नहीं होने के लिए नोएडा प्राधिकरण की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए नाराजगी जाहिर की है.
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि नोएडा प्राधिकरण से संबंधित क्षेत्र योजना के बिना सीटीसीपी एनसीआरपीबी द्वारा महायोजना 2031 तैयार की और इसके लिए कोई अनुमति भी संबंधित स्तर से नहीं ली. इसके माध्यम से वित्तीय अनियमितता हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वीकृत किए गए एक लाख तीस हजार फ्लैटों में से 44 फीसदी फ्लैटों का उपभोग प्रमाण पत्र ही जारी नहीं किया गया. इसके कारण फ्लैट खरीदारों को कब्जा नहीं मिल पाया. इसके अलावा 2017-18 के दौरान 14000 करोड़ रुपये के आवंटन मूल्य के बजाय मार्च 2020 तक 18000 करोड़ रुपये आवंटन मूल्य की बकाया रसीद लगाई गई,
कैग की रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि नोएडा में संपत्तियों के मूल्य निर्धारण के लिए नीतिगत ढांचे में एक गंभीर अंतर था, जिसे दूर करने की आवश्यकता थी लेकिन अफसरों ने इसे नजरअंदाज किया और इससे वित्तीय अनियमितता प्रकाश में आई. 2005 से 2006 और 2017-2018 के दौरान विभिन्न श्रेणियों के समूह आवास वाणिज्यिक खेल शहर संस्थागत फार्महाउस और कमर्शियल श्रेणियों के तहत 188.34 लाख वर्ग मीटर की 2761 संपत्तियां आवंटित की गईं. रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है 2005 से 2018 की अवधि के दौरान कमर्शियल श्रेणी के भूखंडों में आवंटित 48 लाख 98 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में से करीब 80 फीसदी तीन समूह वेव, थ्री सी और लाजिक्स ग्रुप को आवंटित किया गया. इसमें वित्तीय अनियमितता की बात सामने आ रही है.