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तीसरे दिन एम्बुलेंसकर्मियों की हड़ताल जारी: किशोरी की मौत, 570 कर्मी बर्खास्त

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Published : Jul 28, 2021, 5:55 PM IST

Updated : Jul 28, 2021, 10:24 PM IST

उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवा ( Ambulance Service) के एम्बुलेंसकर्मियों की हड़ताल (Ambulance Workers Strike) तीसरे दिन भी जारी है. प्रदेश में 570 एम्बुलेंसकर्मी हटाए जा चुके हैं. सरकार ने हड़ताल करने वाले कर्मचारियों पर एस्मा लगाने की चेतावनी दी है, लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों ने तीसरे दिन हड़ताल खत्म नहीं की. वहीं एम्बुलेंस न मिलने से उन्नाव में महिला की मौत के बाद लखनऊ में भी एक किशोरी की जान चली गई.

एम्बुलेंसकर्मियों की हड़ताल.
एम्बुलेंसकर्मियों की हड़ताल.

लखनऊ: प्रदेश में तीन दिनों से 108 व 102 के एम्बुलेंसकर्मियों ने हड़ताल (Ambulance Workers Strike) कर रखी है. एम्बुलेंस का पहिया थमने से मरीजों को अस्पताल पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसको लेकर प्रदेश के कई जिलों में एम्बुलेंसकर्मी तीन दिन से हड़ताल पर हैं. ऐसे में मरीजों की जान पर आफत बनी हुई है. लिहाजा, योगी सरकार भी एक्शन में आ गई. धरना स्थल पर दूसरे चालक भेजकर एंबुलेंस को छीन लिया गया. वहीं 570 कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया. उधर पदाधिकारियों का दावा है कि राज्य भर में करीब 2500 कर्मियों को नौकरी से निकाला गया है. वहीं समय से एम्बुलेंस न मिलने से उन्नाव में महिला की मौत के बाद राजधानी में भी एक किशोरी की मौत हो गई.

एम्बुलेंसकर्मियों की हड़ताल
लखनऊ में एम्बुलेंसकर्मियों की हड़ताल से अब मरीजों की जान जा रही है. सेवा ठप होने से गंभीर मरीजों की जिंदगी दांव पर लग चुकी है. एम्बुलेंस न मिलने से उन्नाव में महिला की मौत के बाद राजधानी में भी एक किशोरी की जान चली गई. ऐशबाग निवासी नेहा (15) का अचानक पेट दर्द होना शुरू हुआ. परिजनों ने बताया कि एम्बुलेंस के लिए 108 नम्बर पर कॉल की. कॉल उठाने वाले कर्मचारी ने जल्द एम्बुलेंस मुहैया कराने की बात कही. आरोप है कि आधे घंटे इंतजार करने के बाद भी एम्बुलेंस नहीं मिली. इसके बाद परिजन निजी एम्बुलेंस की व्यवस्था में जुटे. प्राइवेट एम्बुलेंस मिलने पर किशोरी को लेकर सिविल अस्पताल के लिए निकले. मगर, निजी एम्बुलेंस में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी. सिविल अस्पताल पहुंचने के बाद किशोरी का इमरजेंसी के डॉक्टरों ने ईसीजी जांच की, जिसके बाद मृत घोषित कर दिया. वहीं सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने ऐसी किसी भी घटना की जानकारी से इनकार किया है.
उन्नाव व लखनऊ में एम्बुलेंसकर्मियों की हड़ताल.

राजधानी के वृंदावन योजना ट्रामा-टू के पास चार दिन से एम्बुलेंसकर्मियों का प्रदर्शन (Ambulance Workers Strike) चल रहा है. वहीं तीन दिन से सेवा ठप है. इस दौरान एम्बुलेंसकर्मियों की कुछ समस्या पर रजामंदी बनी. मगर, सभी मसलों पर सहमति नहीं बनीं. ऐसे में मंगलवार को पहले जहां 13 कर्मियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया गया. साथ ही मुकदमा भी दर्ज कराया गया. वहीं बुधवार को भी कर्मी काम पर नहीं लौटे. ऐसे में सरकार ने अफसरों को हर हाल में एंबुलेंस सेवा बहाल के निर्देश दिए. साथ ही अड़चन डालने वाले लोगों पर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए. ऐसे में बुधवार दोपहर में जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग की टीम एक्टिव हुई. रोडवेज, ऑटो आदि के चालक लेकर धरना स्थल पर पहुंची. धरना दे रहे कर्मियों से एम्बुलेंस छीनकर रवाना कर दीं. वहीं प्रदर्शन से वापस आने वाले कर्मियों को सेवा में ले लिया. धरना दे रहे जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108-102 एंबुलेंस संघ के पदाधिकारियों की लिस्ट सेवा प्रदाता एजेंसी को भेज दी गईं. ऐसे में जीवीकेईएमआरआई (GVK EMRI) कंपनी के स्टेट हेड टीवीएस रेड्डी ने 570 कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त करने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि नौकरी से निकाले गए कर्मी यूनियन के पदाधिकारी हैं, जिन्होंने सभी जिलों में हड़ताल के लिए प्रेरित किया और मरीजों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा. वहीं एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी शादाब के मुताबिक विभिन्न जनपदों में करीब 2500 कर्मी निकाले जाने की सूचना है. इसमें प्रदेश व जिला कार्यकारणी के तमाम पदाधिकारी हैं.

एएलएस एम्बुलेंस सेवा का संचालन पहले जीवीकेईएमआरआई कंपनी करती थी. यह अब जिगित्सा हेल्थ केयर कंपनी के पास है. मीडिया प्रभारी शादाब ने कहा कि एएलएस के सभी कर्मियों का नई कंपनी में समायोजन किया जाए. इस पर सहमति बन गई, मगर 108-102 कर्मियों का मानदेय बढ़ाया जाए, इसके लिए धरना जारी है.
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राज्य में तीन तरह की एंबुलेंस सेवा संचालित हैं. इसमें 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा के 2200 वाहन हैं. इससे रोज औसतन 9500 मरीज अस्पताल शिफ्ट किए जाते हैं. वहीं गर्भवती, प्रसूता व नवजात को अस्पताल पहुंचाने के लिए 102 एंबुलेंस सेवा है. इसके राज्यभर में 2270 वाहन संचालित हैं. इस एंबुलेंस से रोज औसतन 9500 मरीज जाते हैं. 75 जनपदों में गंभीर मरीजों के लिए 250 वेंटिलेटर युक्त एंबुलेंस तैनात की गई हैं. इससे 500 के करीब मरीजों की मदद की जाती रही. इन सभी एंबुलेंस के संचालन की बागडोर निजी कंपनी के पास है. हर रोज मरीज कॉल सेंटर फोन कर रहे हैं. सैकड़ों मरीजों को सुविधा नहीं मिली. ऐसे में परिवारजन निजी एम्बुलेंस से मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे. उन्नाव समेत कई जनपदों में एम्बुलेंस न मिलने से मरीज की मौत के भी मामले सामने आए. जानकारी के मुताबिक राजधानी में धरना स्थल पर अफसर कई चालक लेकर पहुंचे. इनमें से अधिकतर को एम्बुलेंस चलाने का अनुभव नहीं था. कुछ ने मना किया, उन्हें भी एम्बुलेंस थमा दी गईं. उधर ईएमटी के स्थान पर कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर की ड्यूटी लगाई गई.

मऊ में एम्बुलेंसकर्मियों की हड़ताल जारी.

मऊ में एम्बुलेंस सेवा बहाल करने के लिए चालक की तलाश कर रहा विभाग
मऊ में हड़ताल कर रहे एम्बुलेंसकर्मियों पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है, जिसके बाद 11 एम्बुलेंस का संचालन बहाल हो गया है, लेकिन अभी भी 44 एम्बुलेंस का चक्का रुका हुआ है और कर्मी अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं. मुख्य चिकित्साधिकारी एसएन दुबे ने बताया कि एम्बुलेंस सुविधाएं पूरी तरह से बहाल कराने का प्रयास जारी है. मंगलवार की रात कोपागंज में खड़ी सभी एम्बुलेंस को लाकर कार्यालय के परिसर में खड़ा करा कर चाबी ले लिया गया है. वहीं धरना दे रहे एम्बुलेंस चालकों का कहना है कि जीवीके कम्पनी हम लोगों का लगातार शोषण कर रही है. जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होगी, हमारा धरना जारी रहेगा. जनता की सेवा को देखते हुए 11 एम्बुलेंस का संचालन मऊ जनपद में हो रहा है, बाकी 44 एम्बुलेंस का चक्का रुका हुआ है.

संत कबीर नगर में एम्बुलेंसकर्मियों ने किया अर्धनग्न प्रदर्शन.


संत कबीर नगर में एम्बुलेंसकर्मियों ने किया अर्धनग्न प्रदर्शन
संत कबीर नगर में एम्बुलेंसकर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर जूनियर हाई स्कूल प्रांगण में अर्धनग्न प्रदर्शन किया. साथ ही प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. मांग पूरी न होने तक एंबुलेंस कर्मचारियों ने धरने को आगे बढ़ाने की बात कही. प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी होने पर सीएमओ जूनियर हाई स्कूल पहुंचे थे.
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Last Updated : Jul 28, 2021, 10:24 PM IST

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