लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को ने कहा है कि वर्ष 2010 में उसके सख्त आदेशों के चलते लखनऊ जिला अदालत परिसर में काले कोट (Allahabad High Court's harsh remarks on lawyers) में अराजकता फैलाने वालों पर शिकंजा कसा गया था, तो स्थिति सुधर गयी थी. अब एक बार फिर से वहां काले कोट पहनने वाले अराजक तत्व सक्रिय हो गये हैं. इससे फिर सख्ती से निपटने की जरूरत है. कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर केा 2 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से तलब किया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूछा है कि पिछले आदेशों के अनुपालन में ऐसे काले कोर्ट पहन कर अराजकता फैलाने वाले तत्वों से निपटने के लिए क्या प्रयास किये गये हैं. उनसे निपटने के लिए आगे क्या रणनीति बनायी गयी है. गुरुवार को यह आदेश जस्टिस संगीता चंद्रा एवं जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की पीठ ने अनिल कुमार खन्ना सहित कुल आठ याचिकाओं पर एक साथ सुनवायी करते हुए पारित किया. कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से कहा है कि उसके सामने सुनवायी के लिए चल रही याचिकाओं में जिन अराजक वारदातों का जिक्र किया गया है. उन पर जांच करके रिपोर्ट दी जाये.
वहीं काले कोट में बाहर जमीनों के कब्जे करने और दबंगई करने के मामलों का संज्ञान लेकर पूर्व में यूपी बार काउंसिल को काले कोट को अदालत बाहर पहनने पर रोक लगाने के संबध में अधिवक्ताओं को निर्देश जारी करने के मामले में यूपी बार काउंसिल की ओर से कहा गया है कि प्रदेश की सभी बार एसोसिएशन को इस संबध में निर्देश जारी किये गये हैं. कहा गया कि बार काउंसिल आफ इंडिया रेगुलेशन के अध्याय दो भाग चार में पहले ही कोट बैंड पहनकर किसी पब्लिक प्लेस पर जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है.
इस नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने का नियम है. इस पर कोर्ट ने यूपी बार काउंसिल से पूछा कि अब तक इस नियम का उल्लंघन करने वाले कितने अधिवक्ताओं के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की गयी. कोर्ट (Allahabad High Court Lucknow Bench) ने यूपी बार काउंसिल से पूछा है कि 2010 से 2023 तक कितने अधिवक्ताओं के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की गयी. उनके खिलाफ का एक्शन लिया गया. इसका ब्यौरा अगली सुनवाई पर पेश किया जाये.
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