लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Allahabad High Court lucknow bench) ने एक परित्यक्त बुजुर्ग दंपति को शहर के समर्पण वृद्धाश्रम से निकाले जाने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस सम्बंध में निचली अदालत में चल रहे सिविल मुकदमे को भी एक वर्ष के भीतर निर्णित करने का आदेश दिया है.
यह आदेश जस्टिस जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल व उनकी पत्नी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचियों का कहना था कि वे वर्ष 2016 से गायत्री परिवार ट्रस्ट द्वारा संचालित लखनऊ शहर के समर्पण ओल्ड एज होम में रह रहे हैं. इसके लिए उन्होंने 75 हजार रुपये का सिक्युरिटी अमाउंट जमा किया है और मासिक शुल्क भी देते हैं. याचियों की ओर से कहा गया कि ओल्ड एज होम के मैनेजमेंट द्वारा झूठे आरोप लगाकर वर्ष 2019 से उन्हें निकालने का प्रयास किया जाने लगा. याचियों ने स्थाई निषेधाज्ञा का एक वाद सिविल जज (जूनियर डिविजन), लखनऊ के समक्ष दाखिल किया. जिस पर निचली अदालत ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए, याचियों को निकालने पर रोक लगा दी.