लखनऊ: ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने निजीकरण को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखा है. चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण एक जन विरोधी कदम है. बैंकों को अब सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि विशुद्ध रूप से निजी घरानों के लाभ की खोज में चलाया जाएगा. फेडरेशन की तरफ से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की गई है. एआईपीईएफ ने केंद्र सरकार की उस नीति की निंदा की जो अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में काम करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के पूरी तरह खिलाफ है और कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में तैयार की गई है.
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फिर शुरू हुआ निजीकरण विरोध
बेरोजगारी के कठिन दौर में बैंकों के निजीकरण से रोजगार के अवसर बुरी तरह प्रभावित होंगे. निजी बैंक न्यूनतम मानवशक्ति से काम चलाते हैं और कर्मियों को मानसिक दबाव में काम करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि बैंकों के निजीकरण से आम लोगों को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और उनकी जमा धनराशि भी सुरक्षित नहीं रह पाएगी. इंडसइंड बैंक और पीएमसी बैंक में पैसा डूबने से निजीकरण के नाम पर लोगों में काफी दहशत है.
एआईपीईएफ ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के साथ-साथ केंद्र सरकार ने बिजली क्षेत्र सहित अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के निजीकरण के लिए व्यापक नीति अपनाई है. एआईपीईएफ ने केंद्र सरकारों की निजीकरण नीति का पुरजोर विरोध किया है. विरोध करते हुए सभी केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली के निजीकरण के फैसले और हाल ही में बिजली अधिनियम 2003 में संशोधन के कदम से निजी कंपनियों को राज्यों की वितरण प्रणाली में प्रवेश करने की अनुमति दी.