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लखनऊ: आजमगढ़ के जिलाधिकारी से अखिलेश यादव ने की बात, जानी बाढ़ की स्थिति

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Published : Aug 8, 2020, 2:52 AM IST

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को वीडियो कॉलिंग के जरिए आजमगढ़ में बाढ़ की स्थिति पर जिलाधिकारी से बात की. अखिलेश यादव ने डीएम से राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए कहा.

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अखिलेश यादव.

लखनऊ: सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को वीडियो कॉलिंग के जरिए आजमगढ़ में बाढ़ की स्थिति पर जिलाधिकारी से बात की. अखिलेश यादव ने डीएम से राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए कहा. अखिलेश ने बताया कि आजमगढ़ में नदियां उफान पर हैं. सैकड़ों गांव जलमग्न हैं. पशुओं को चारा नहीं मिल रहा है. लोग ऊंची जगहों और छतों पर बैठे हैं. अभी तक तहसील के अधिकारियों ने उनकी सुध नहीं ली है. उन्होंने आजमगढ़ के बाढ़ग्रस्त इलाकों का ब्योरा स्थानीय लोगों से प्राप्त किया.

अखिलेश ने बयान जारी कर बताया कि अंगद प्रधान ने जानकारी दी कि दर्जनों गांवों में घाघरा नदी के बाढ़ का पानी घुस गया है. लोगों को अंधेरे में छतों और छप्परों पर बैठकर रात गुजारनी पड़ रही है. कच्चे घर गिर रहे हैं. बीमार लोगों को दवा नहीं मिल रही है. कोई अधिकारी देखने नहीं आया है. सगड़ी तहसील के दुर्गेश यादव ने बताया कि गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र के तमाम गांवों में बाढ़ के प्रकोप से लोग नरकीय जीवन बिता रहे हैं. करीब 250 गांवों में लोग फंसे हुए हैं. अगर बड़ी नाव की व्यवस्था होती तो आदमी और पशुओं को सुरक्षित स्थान के लिए निकाला जा सकता था.

बीते सोमवार की सुबह टेकनपुर गांव के पास तटबंध टूट गया था. 20 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. उन्होंने बताया कि गन्ना किसानों का एक साल का भुगतान बकाया है. चीनी मिल मालिक हीलाहवाली कर रहे हैं. किसान क्या करे, कहां जाए. अखिलेश ने बताया कि समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ सहित अन्य जनपदों को बाढ़ग्रस्त घोषित करने, गन्ने का 70 प्रतिशत बकाया भुगतान कराने, फसलों की हुई क्षति, जो धान डूब गया है उसका मुआवजा देने और प्रशासन की तरफ से मिट्टी का तेल और खाद्य पदार्थ सप्लाई किए जाने की तत्काल व्यवस्था किए जाने की मांग की है.

उन्होंने बताया कि सब जगह एक ही आवाज सुनाई पड़ती है कि जब हर साल बाढ़ आती है तो उसकी रोकथाम के लिए कोई भी कार्रवाई शासन स्तर से क्यों नहीं होती है. भाजपा सरकार में ऐसा पहली बार हो रहा है कि गांव के गांव डूबते जा रहे हैं. चारों तरफ हाहाकार मचा है. बावजूद इसके न तो मुख्यमंत्री गम्भीर दिख रहे हैं और न ही जिलों के अधिकारी सक्रिय हो रहे हैं.

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