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लखनऊः अहिरवार धाम में हुआ था युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद, पुराण में वर्णित है अहिरवार धाम

भारत देश में तमाम पौराणक स्थल और ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिनकी पहचान वैश्विक स्तर पर है. इसी क्रम में यूपी के लखनऊ क्षेत्र में अहिरवार धाम स्थित है. इसका वर्णन महाभारत और भागवत पुराण में किया गया है. आइये जानते हैं अहिरवार धाम से जुड़ी तमाम मान्यताओं के बारे में...

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Published : Aug 1, 2020, 2:05 AM IST

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अहिरवार धाम में हुआ था युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद

लखनऊःराजधानी लखनऊ से लगभग 45 किलोमीटर दूर अहिरवार धाम स्थित है. इस स्थान से लाखों लोगों की धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं. मान्यता है कि अहिरवार धाम के चंद्र सरोवर पर युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था. यहां महाभारत काल से जुड़े प्रमाण आज भी मौजूद हैं. इस पौराणिक स्थल पर द्वापर युग से जुड़ी तमाम मान्यताएं हैं. अहिरवार धाम मंदिर में प्रवेश करते ही राजा नहुष की मूर्ति स्थापित है. कहा जाता है मरणोपरांत आत्मा की शांति के लिए अहिरवार धाम में पिंड दान करने से मोक्ष की प्राप्त होती है.

अहिरवार धाम में हुआ था युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद

महाभारत और भागवत पुराण में मिलता है अहिरवार धाम का वर्णन
राजधानी लखनऊ की सीमा से सटे अहिरवार धाम का विशेष महत्व है. अहिरवार धाम का वर्णन प्रसिद्ध पुराण भागवत और महाकाव्य महाभारत में मिलता है. इस तीर्थ स्थल को मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता है. पुराणों के अनुसार द्वापर युग में नाहुष नाम के राजा ने इसी चंद्र सरोवर कुंड में 100 अश्वमेघ यज्ञ किए थे. जिसके बाद उन्हें देवराज की पदवी प्राप्त हुई थी. कहा जाता है कि इस धाम में अगस्त ऋषि ने राजा नहुष को श्राप दिया था. जिसके बाद राजा नहुष अहिरवार धाम के चंद्र सरोवर तालाब में यक्ष अर्थात सर्प के रूप में रहने लगे थे.

धर्मराज युधिष्ठिर का इसी धाम में हुआ था यक्ष से संवाद
अहिरवार धाम की तमाम गाथाएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि अहिरवार धाम के चंद्र सरोवर पर युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था. अहिरवार धाम के पुजारी लखना नंद सरस्वती ने बताया कि द्वापर युग की एक कथा प्रचलित है. इसके अनुसार द्वापर युग में वनवास काल के दौरान पांडव प्यास लगने पर चंद्र सरोवर तालाब में पानी पीने आए थे.

तालाब का पानी पीते ही नकुल, भीम, अर्जुन, सहदेव मूर्छित होकर गिर गए. इसके बाद उन्हें ढूंढते हुए जब युधिष्ठिर वहां पहुंचे और पानी पीने की कोशिश की. उसी वक्त एक आकाशवाणी हुई कि यदि वह यक्ष के सही उत्तर देंगे तभी तालाब का पानी पी सकते हैं. एक भी सवाल गलत होने पर युधिष्ठिर की मृत्यु हो जाएगी. धर्मराज युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी सवालों का सही जवाब दिया.

इसके बाद यक्ष ने उनके सभी भाइयों को जीवित कर दिया. मान्यता है कि यक्ष और युधिष्ठिर के संवाद के बाद ही राजा नहुष को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. यहां आज भी राजा नहुष के लिए हर वर्ष दूध को एक साल तक गाड़ कर रखा जाता है. एक साल तक दूध जमीन के अन्दर होने के बाद भी खराब नहीं होता है. इसी दूध को दीपावली पर लगने वाले मेले के प्रसाद में मिलाकर बांटा जाता है.

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