लखनऊःराजधानी लखनऊ से लगभग 45 किलोमीटर दूर अहिरवार धाम स्थित है. इस स्थान से लाखों लोगों की धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं. मान्यता है कि अहिरवार धाम के चंद्र सरोवर पर युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था. यहां महाभारत काल से जुड़े प्रमाण आज भी मौजूद हैं. इस पौराणिक स्थल पर द्वापर युग से जुड़ी तमाम मान्यताएं हैं. अहिरवार धाम मंदिर में प्रवेश करते ही राजा नहुष की मूर्ति स्थापित है. कहा जाता है मरणोपरांत आत्मा की शांति के लिए अहिरवार धाम में पिंड दान करने से मोक्ष की प्राप्त होती है.
महाभारत और भागवत पुराण में मिलता है अहिरवार धाम का वर्णन
राजधानी लखनऊ की सीमा से सटे अहिरवार धाम का विशेष महत्व है. अहिरवार धाम का वर्णन प्रसिद्ध पुराण भागवत और महाकाव्य महाभारत में मिलता है. इस तीर्थ स्थल को मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता है. पुराणों के अनुसार द्वापर युग में नाहुष नाम के राजा ने इसी चंद्र सरोवर कुंड में 100 अश्वमेघ यज्ञ किए थे. जिसके बाद उन्हें देवराज की पदवी प्राप्त हुई थी. कहा जाता है कि इस धाम में अगस्त ऋषि ने राजा नहुष को श्राप दिया था. जिसके बाद राजा नहुष अहिरवार धाम के चंद्र सरोवर तालाब में यक्ष अर्थात सर्प के रूप में रहने लगे थे.
धर्मराज युधिष्ठिर का इसी धाम में हुआ था यक्ष से संवाद
अहिरवार धाम की तमाम गाथाएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि अहिरवार धाम के चंद्र सरोवर पर युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था. अहिरवार धाम के पुजारी लखना नंद सरस्वती ने बताया कि द्वापर युग की एक कथा प्रचलित है. इसके अनुसार द्वापर युग में वनवास काल के दौरान पांडव प्यास लगने पर चंद्र सरोवर तालाब में पानी पीने आए थे.