लखनऊ: शहर में चोरी छुपे चल रही अवैध टैक्सियां सरकार को तो राजस्व का चूना लगा ही रही हैं, परमिट लेकर टैक्सी संचालित करने वालों को भी काफी नुकसान पहुंचा रही हैं. कैब संचालकों को शिकायत है कि ऐसी अवैध टैक्सियों पर विभाग को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे इनका संचालन बंद हो सके और सरकार के साथ ही कैब संचालकों को भी नुकसान न उठाना पड़े.
ईटीवी भारत ने आरटीओ लखनऊ से जानकारी ली कि शहर में अवैध टैक्सियों के संचालन पर क्या कार्रवाई की गई है तो उनका साफ कहना है कि शहर के अंदर अवैध टैक्सियों का संचालन हो ही नहीं रहा है. बाहरी इलाके में अवैध टैक्सियां संचालित होती पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है. अब इसके लिए एक विशेष टीम गठित कर अवैध टैक्सियों पर रोक लगाई जाएगी, जिससे राजस्व का नुकसान होने से बचाया जा सके. टूर एंड ट्रेवल्स का सघन निरीक्षण किया गया है और ऐसे 200 टूर एंड ट्रेवल्स को नोटिस भी भेजी गई है.
परमिट नहीं लेते अवैध टैक्सी संचालक
राजधानी समेत प्रदेश भर में मोटर कैब का संचालन हो रहा है. अकेले लखनऊ में ही कैब की संख्या तकरीबन 12 हजार है, वहीं इसके साथ-साथ अवैध टैक्सी भी संचालित हो रही हैं, जिससे कैब संचालकों को काफी नुकसान हो रहा है. मोटर कैब चलाने के लिए बाकायदा पहले परिवहन विभाग से परमिट प्राप्त करना होता है, जिसके लिए एक निर्धारित शुल्क भी तय किया गया है. अगर यूपी का परमिट लेना है तो कैब संचालक को 38 सौ रुपए चुकाने पड़ते हैं, वहीं अगर ऑल इंडिया परमिट चाहिए तो इसके लिए 67 सौ रुपए धनराशि निर्धारित है. इसी तरह जब परमिट के नवीनीकरण में भी शुल्क चुकाना होता है. परमिट लेने और शुल्क चुकाने के बावजूद कैब संचालकों को घाटा हो रहा है. इसकी वजह है शहर में संचालित होने वाली अवैध टैक्सियां.
सरकार को राजस्व की चपत
बिना परमिट लिए निजी गाड़ी को व्यवसायिक गाड़ी के रूप में यूज करने के कारण जहां अवैध टैक्सी संचालक खूब पैसा कमाते हैं वहीं सरकार को यह खूब चपत लगाते हैं. सरकार के राजस्व में न तो परमिट की फीस जमा होती है और न ही व्यवसायिक वाहन का टैक्स. इतना ही नहीं इन वाहन संचालकों की वजह से नियम के तहत परमिट की फीस चुकाकर वाहन चलाने वाले वाहन स्वामियों को भी घाटा हो रहा है. सरकार को अवैध टैक्सियों से हर माह लखनऊ से ही लाखों रुपए का चूना लगता है.
परमिट लेना होता है अनिवार्य
परिवहन विभाग के नियमों के मुताबिक अगर कॉमर्शियल वाहन का संचालन करना है तो पहले परिवहन विभाग की तरफ से तय किए गए नियमों का पालन करना होगा. फीस जमा करने के बाद परमिट लेकर ही व्यवसायिक यूज़ के लिए सड़क पर वाहन उतारा जा सकता है, लेकिन विभाग के बनाए नियमों का मखौल अवैध टैक्सी संचालक उड़ा रहे हैं और चोरी-छिपे ही सही अवैध तरीके से गाड़ियों का संचालन कर रहे हैं.