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शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से खराब हो रहे फेफड़े, शोध में हुआ खुलासा

कोरोना महामारी से बचने के तमाम तरीके बताए जा चुके हैं. शोसल डिस्टेसिंग, मास्क और सेनेटाईजर के साथ ही शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की भी बात विशेषज्ञों ने कही है. मगर एक शोध के अनुसार शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से फेफड़ों को भी नुकसान पहुंच सकता है.

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Published : Oct 24, 2020, 5:13 PM IST

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प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से खराब हो रहे फेफड़े.

लखनऊ: कोरोना से बचाव को लेकर के ज्यादातर विशेषज्ञ कह रहे हैं कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सके. पर एक शोध में खुलासा हुआ है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है.



जरूरत से ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता फेफड़ों के लिए खतरनाक

कोरोना को लेकर के रोज नए खुलासे हो रहे हैं. आए दिन नए शोध भी सामने आते रहते हैं. चिकित्सकों की सलाह रहती है कि कोरोनावायरस बचने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन अब यह शोध में सामने आया है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यदि ज्यादा बढ़ जाए तो वह हमारे फेफड़ों में खराबी ला सकता है. दरअसल मरीज के शरीर में साइटो काइन स्टॉर्म (शरीर की प्रतिरोधक क्षमता) यदि जरूरत से ज्यादा बढ़ने से मरीजो में के फेफड़ों में खराबी की बात सामने आई है.

पीजीआई के चिकित्सकों ने किया शोध

ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर फेफड़ों में खराबी होने के अधिक संभावना रहती हैं. यह खुलासा पीजीआई के एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टर देवेंद्र गुप्ता और इमरजेंसी मेडिसिन के डॉक्टर अलका वर्मा की सर्वे रिपोर्ट में हुआ है. डॉक्टर देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि कोरोना संक्रमित 100 मरीजों में पांच गंभीर साइटोंकाईन स्टॉर्म का स्तर बढ़ा हुआ मिला. पीजीआई में 2000 से अधिक कोरोना मरीज भर्ती हुए हैं, जिनमें 100 मरीजों में इसकी पुष्टि हो चुकी है.

सही समय से इलाज मिलना जरूरी

फेफड़ों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाने के बाद खराबी होने पर डॉक्टर देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि इन मरीजों की जल्दी पहचान के साथ ही शुरुआत के 5 से 7 घंटे में इलाज मिल जाना चाहिए. साइटोंकाईन स्टॉर्म के बढ़े स्तर की पहचान के लिए अहम जांच की जाती है, जिसमें सी रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), इंटरल्यूकीन-6 (आईएल-6) और सेरिटोनिन शामिल है. इनसे फेफड़े के संक्रमण की गंभीरता शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की पता लगाया जाता है.

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