लखनऊ: मंगलवार से रमजान के महीने का पूरे देश में आगाज हो चुका है. वहीं सोमवार को चांद दिखने के बाद से मस्जिदों और इबादतगाहों में देर रात तक तरावीह की नमाज भी शुरू हो गई. रमजान के महीने में रोजेदार पूरे महीने रोजा रखता है, जिसमें बिना कुछ खाये और बिना कुछ पिये रोजेदार को दिन की रोशनी में रहना होता है. इसके लिए सूरज निकलने से पहले तक रोजेदार फज्र की नमाज से पहले सेहरी कर लेता है.
लखनऊ: जानिए क्या है पाक महीने रमजान में रोजे रखने का महत्व
रमजान के महीने में रोजा रखना फर्ज है और यहां तक कि इस्लाम के 5 मूलभूत स्तम्भों में से एक माना जाता है. चांद देख कर रमज़ान के महीने की शुरुआत होती है और 29 या फिर 30 दिन तक चांद देख कर रमज़ान के महीने का अंत होता है. जिसके अगले ही दिन मुस्लिमों का सबसे बड़ा पर्व यानी ईद मनाई जाती है.
जानिए क्या है पाक महीने रमजान के पीछे रोजे रखने की वजह.
क्यों रखते हैं मुसलमान रोजा
- इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान में से एक है रोजा रखना.
- रोजा रखना मुसलमानों पर फर्ज है.
- रोजे की हालत में रोजेदार परहेजगार होता है यानी वह दुनिया की कई चीजों से दूर रहता है.
- भूख और प्यास की हालत में रहकर उसको गरीबी का एहसास होता है और गरीबों की मदद की फिक्र होती है.
- हर बुरे काम से रोजेदार दूर रहता है.
Last Updated : May 7, 2019, 7:12 PM IST