लखनऊ : मिर्जा गालिब ने क्या खूब कहा है कि कासिद के आते आते खत इक और लिख रखूँ , मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में. आज आपको ऐसे ही प्रेमी जोड़े से मिलवाएंगे जिनकी शादी 47 साल पहले हुई थी वह भी अरेंज मैरिज जिसके बाद उन दोनों में प्यार की कड़ी बना "खत".
रविशंकर शुक्ला और सुमन शुक्ला अपने वैवाहिक जीवन को बड़े सादगी से जीते आ रहे हैं. जिनके जीवन में खतों की अहम भूमिका रही है. शादी के बाद खतों का सिलसिला एक बार जो शुरू हुआ 15 सालों तक लगातार चलता ही रहा और आज भी वह खत जीवन के हसीन पलों की यादों को समेटे हुए संजोकर रखे गए हैं.
प्रेमियों के जीवन में खत की अहमियत
जहां आज प्रेमी युगल अपने जज्बातों को टेक्नोलोजी का सहारा लेकर के एक दूसरे से शेयर करते हैं वहीं जब यह टेक्नोलॉजी नहीं थी तो खतों ने प्रेमियों के जीवन में अहम किरदार निभाया. वो खत आज भी उनके लिए किसी जागीर से कम नहीं है.
प्रेमी जोड़े जिन्होंने जीवन के हसीन पलों की यादों को खत में संजोया
खतों के पन्नों पर लिखे गए हर एक शब्द उनके जीवन के सुनहरे पलों की यादों को आज भी जिंदा रखे हुए हैं. जिसे ना कोई वायरस करप्ट कर सकता है और ना ही कोई डिलीट कर सकता है.
आप का ख़त नहीं मिला मुझ को, दौलत-ए-दो-जहाँ मिली मुझ को
बिना एक दूसरे को देखें इनकी प्रेम कहानी शादी के बाद समय के उस दौर में शुरू हुई जब किसी भी तरीके की टेक्नोलॉजी कि शुरुआत नहीं हुई थी. इंटरनेट, मोबाइल टेलीफोन आदि जैसी कोई सुविधा नहीं थी जिससे की बात किया जा सके.
उनका कहना है कि आज भी उन्होंने अपने सुनहरे पलों की जागीर को खतों के रूप में संभाल कर रखा हुआ है और बीते दिनों के हसीन पलों की यादों के समंदर में गोते लगाते हैं. लखनऊ के रविशंकर शुक्ला जोकि स्टैटिसटिकल ऑफीसर के पद से रिटायर हुए है और साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुमन शुक्ला है जो कि एक गृहणी है. दोनों की शादी मात्र 22 वर्ष की आयु में हुई थी वह भी घरवालों की मर्जी से.