लखनऊ :69 हजार शिक्षक भर्ती के अंतर्गत चयनित 6800 दलित व ओबीसी वर्ग के शिक्षक अभ्यर्थियों ने नियुक्ति की मांग को लेकर लगातार दूसरे दिन अपना प्रदर्शन जारी रखा. अभ्यर्थियों ने शनिवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया. इस दौरान अभ्यर्थी आरक्षण में हुए घोटाले को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की साथ ही जल्द से जल्द उन्हें नियुक्ति देने की मांग को लेकर जोरदार नारेबाजी भी की. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के घर पर अचानक पहुंचे. अभ्यर्थियों की सूचना पर भारी संख्या में पुलिस फोर्स उनके आवास के बाहर तैनात कर दी गई.
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना था कि 'उपमुख्यमंत्री उनके समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि सरकार ने 2022 में उन्हें नियुक्ति देने का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बाद भी अभी तक उन्हें नियुक्ति नहीं मिल पाई है. जिसको लेकर 6800 शिक्षक अभ्यर्थी दलित व पिछले समाज की अनुमान की करने वाले सरकार के मंत्रियों व नेताओं के आवासों के बाहर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर भारी पुलिस बल तैनात रहा. प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को पुलिस ने बस में भरकर ईको गार्डन धरना स्थल भेज दिया. ज्ञात हो कि इससे पहले शुक्रवार को अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के भी आवास का घेराव किया था. अभ्यर्थी उनसे मिलने की मांग कर रहे थे, लेकिन पांच प्रतिनिधियों को बुलाने के बाद भी बेसिक शिक्षा मंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी. नाराज अभ्यर्थियों का कहना है कि जब तक न्याय और नियुक्ति नहीं मिल जाती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.'
5 जनवरी 2022 को आई थी अभ्यर्थियों की सूची :आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि '69 हजार शिक्षक भर्ती में सरकार की तरफ से भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण लागू करने में अनियमितता बरती गई. सरकार की इस लापरवाही के कारण आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नौकरी पाने के मौके से वंचित कर दिया गया. उन्होंने बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमारी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन चुनाव के करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी उनकी मांगों पर अब तक सरकार की ओर से कोई विचार नहीं किया गया है.
उन्होंने बताया कि इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण में हुई गड़बड़ी को लेकर कई बार आंदोलन के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान लिया और विसंगति दूर करते हुए पीड़ित दलित पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश अधिकारियों को दिया था. जिसके आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विसंगति को सुधारने के बाद 6800 दलित, पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का वादा करते हुए एक सूची जारी की, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिल सका. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है की सरकार इस मामले का जल्द समाधान निकाले और सभी 6800 चयनित पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों का हक अधिकार देते हुए उनकी नियुक्ति करे. उन्होंने बताया कि 5 नवंबर 2022 को 6800 शिक्षकों की सूची जारी की गई थी. तब से नियुक्ति की मांग को लेकर अभ्यर्थी आंदोलनरत हैं. यदि सरकार उनकी बातों पर ध्यान नहीं देती है तो वह भूख हड़ताल और आमरण अनशन करने के लिए मजबूर होंगे. जिसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी.