लखनऊ: हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सहायता के लिए उत्तर प्रदेश के 35 जनपदों में वन स्टॉप सेंटर बनाए गए हैं. इन सेंटरों पर पीड़ित महिलाओं की सहायता करने के लिए चिकित्सा सहायता, परामर्शी सेवाएं, विधिक सहायता एवं पुलिस सहायता आदि एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराई जा रही है. महिला कल्याण निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया कि बीते साल 6,804 महिलाओं की सहायता की गई है.
भारत सरकार ने लागू की व्यवस्था
महिला कल्याण निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया कि भारत सरकार ने साल 2016-17 में हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सहायता के लिए प्रदेश के 35 जनपदों में वन स्टॉप सेंटर की व्यवस्था की थी. भारत सरकार की इस योजना के तहत हिंसा से पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे आवश्यक सेवाएं मुहैया कराना था.
महिलाओं के अल्प आवास को बनाए हैं सेंटर
इसके लिए प्रदेश के हर जनपदों में वन स्टॉप सेंटर बनाए गए. यह सेंटर महिलाओं के अल्प आवास के लिए बनाए गए हैं. यहां पर महिलाओं को चिकित्सा सहायता, परामर्शी सेवाएं, विधिक सहायता एवं पुलिस सहायता इत्यादि दी जाती है.
इमरजेंसी में रेस्क्यू सेवा भी
महिला कल्याण निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया कि इन सेंटरों का संचालन प्रशासकीय कार्य के लिए किया जाता है. सेंटर पर पीड़ित महिलाओं को सेवाएं देने के लिए मैनेजर के रूप में प्रशासकीय अधिकारी, मनोवैज्ञानिक परामर्श दाता, पैरामेडिकल नर्स, कंप्यूटर ऑपरेटर और केस वर्कर की व्यवस्था की गई है. साथ ही इमरजेंसी रिस्पॉन्स एवं रेस्क्यू सेवाओं की भी व्यवस्था की गई है.
कुल 16,607 मामले सामने आए
पीड़ित महिलाओं को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ताओं के माध्यम से की सहायता दी जाती है. महिला कल्याण निदेशक ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-21 में उत्तर प्रदेश के वन स्टॉप सेंटरों में कुल 16,607 बच्चे और महिलाओं के मामले सामने आए हैं. इनमें से 6,804 पीड़ितों को सहायता उपलब्ध कराई गई है.