लखनऊ : जियामऊ इलाके में एक पंक्ति में एक दर्जन इमारतें हैं. सभी का नक्शा ढाई मंजिल का पास है, लेकिन निर्माण चार से छह मंजिल तक किया गया है. करीब 10 साल से इन बिल्डिंगों को ध्वस्त करने का आदेश न केवल एलडीए की प्रवर्तन कोर्ट में है. हाईकोर्ट ने भी इनका अवैध हिस्सा गिराने का आदेश किया है. लखनऊ की आधी बिल्डिंगों में इसी तरह की अनियमितताएं बरती गई हैं.
लखनऊ में जमीन से ज्यादा अवैध कब्जा आसमान (ऊंची इमारतों) पर है. यह तय मानकों के विपरीत 50% इमारतें अधिक ऊंची बनाई गई हैं. अधिकांश प्लॉटों पर तीन मंजिल तक का निर्माण ही वैध है. पांच से आठ मंजिल तक के निर्माण किए गए हैं. बिना नक्शा पास किए अवैध निर्माण तो हुए ही हैं. अवैध मंजिलों का निर्माण करा दिया गया है.
किस तरह से तय होती है ऊंचाई, क्या होता है एफएआर :बिल्डिंगों की ऊंचाई तय करने के लिए नगर विकास अधिनियम में खास मानक हैं. जिसको फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) बोलते हैं. इसमें भूखंड के क्षेत्रफल के आधार पर उसकी मंजिल तय की जाती है. जिसमें लखनऊ में जो भी प्लॉट हैं. उनमें से अधिकांश 3000 वर्ग फीट के भीतर ही हैं. जिनके लिए फ्लोर एरिया रेशियो ढाई मंजिल का तय है. यह मंजिलें क्षेत्रफल के हिसाब से बढ़ती जाती हैं. इसके साथ ही एक सिंगल यूनिट मकान को भले ही आप 5000 स्क्वायर फीट भूमि पर भी क्यों ना बनाएं, लेकिन आप बना ढाई मंजिल ही सकते हैं.