लखनऊ: यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) न सिर्फ शादीशुदा महिला बल्कि कुंवारी लड़कियों को भी होता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यूटीआई की समस्या अधिक उत्पन्न होती है. केमिकल इंबैलेंस के कारण यूटीआई जैसी समस्या महिलाओं में होने लगती है. यूटीआई एक आम बीमारी है, जो ज्यादातर महिलाओं में देखी जाती है. यह बीमारी तब होती है जब रोगाणु मूत्र प्रणाली को संक्रमित कर देते हैं. इसका असर किडनी, गॉलब्लैडर और इन्हें जोड़ने वाली नलिकाओं पर भी पड़ता है. वैसे तो यूटीआई बीमारी आम है लेकिन ध्यान न दिया जाए तो इसका इंफेक्शन किडनी में भी फेल सकता है और किसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है. महिला रोग विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश भर में 25 से 30 फ़ीसदी महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं.
महिलाओं में होने वाले यूटीआई के लक्षण, कारण और बचाव सिविल अस्पताल की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि शर्मा ने बताया कि यूटीआई मूत्र मार्ग में कहीं भी हो सकता है. मूत्र मार्ग से मतलब गुर्दे (Kidneys), मूत्रवाहिनी (Ureters), मूत्राशय (Bladder) और मूत्रमार्ग (Urethra) आदि से है. निचले मूत्र मार्ग संक्रमण (lower tract UTI) में मूत्राशय और मूत्रमार्ग और ऊपरी हिस्से में मूत्रवाहिनी और गुर्दे प्रभावित होते हैं. हालांकि, निचले हिस्से का मूत्र मार्ग संक्रमण अधिक आम और गंभीर है. बच्चों की तुलना में वयस्कों में यूरिन इन्फेक्शन अधिक होता है. पुरुषों की तुलना में यह संक्रमण लड़कियों और महिलाओं में ज्यादा होता है. इसका कोई प्रत्यक्ष कारण नहीं है लेकिन जननांगों की संरचना (मूत्रमार्ग का आकार में छोटा होना) कहीं न कहीं इसके लिए उत्तरदायी है. लगभग 25-30 प्रतिशत महिलाओं और 12 प्रतिशत पुरुषों को उनके पूरे जीवनकाल में कभी न कभी यूरिन इन्फेक्शन होता है.
डॉ. रश्मि शर्मा ने बताया कि कुंवारी लड़कियों में यह समस्या इसलिए होती है क्योंकि हाइजीन मेंटेन नहीं होती है. अगर लड़कियां समय-समय पर पीरियड के दौरान सेनेटरी नैपकिन और अंडरवियर गीली होने पर बदलती रहे तो यह समस्या नहीं होगी. इसके अलावा सबसे अहम बात है कि कभी भी सार्वजनिक शौचालय में बैठने से पहले पानी जरूर डालें या अपने साथ एक सैनिटाइजर स्प्रे लेकर रखें. वहीं, शादीशुदा महिलाओं में यह इसलिए भी होता है क्योंकि वह अपने पति के साथ फिजिकल होती हैं. पति को अगर यूटीआई की समस्या है तो पत्नी को हो जाएगा. अगर पत्नी को यूटीआई की समस्या है तो पति को हो जाएगा. यह एक से दूसरे को ट्रांसफार्म होती रहती है. इसके लिए जरूरी है कि कोई शुरुआती लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें. बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी उपाय न करें.
महिला रोग विशेषक डॉ. पूजा बहल ने बताया कि सबसे जरूरी बात महिलाओं के लिए यही है कि महावारी के दौरान चाहे नैपकिन कितनी भी गीली हुई हो या न हुई हो लेकिन हर 6 घंटे पर सेनेटरी नैपकिन को अवश्य बदलना चाहिए. जो युवतियां ऐसा नहीं करती हैं उनमें इंफेक्शन का खतरा काफी तेजी से बढ़ता है. इसके अलावा अंडरवियर को गर्म पानी से धुले. वहीं, अगर कहीं बाहर पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल कर रही है, तो मार्केट में सैनिटाइजर स्प्रे उपलब्ध है. उससे हमेशा साथ में रखें जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल करें.
उन्होंने बताया कि हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल की महिला रोग विभाग में रोजाना यूटीआई से पीड़ित महिलाएं ओपीडी में आती है. वॉशरूम करने में जलन महसूस होती हैं या प्राइवेट पार्ट के एरिया में इंफेक्शन खुजली की शिकायत होता है. रोजाना इस तरह के चार से पांच केस अस्पताल में आते हैं. जिन्हें प्राथमिक इलाज दिया जाता है. इसके अलावा उनकी काउंसलिंग की जाती है. उन्हें बताया जाता है कि यूटीआई किस वजह से फैलता है.
यूटीआई को नियंत्रित करने में योगासन लाभकारी होते हैं, क्योंकि ये पेल्विक क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और मूत्र को न रोक सकने की समस्या को कम करते हैं. इन आसनों से मूत्र मार्ग के संक्रमणों को रोकने और ठीक करने में सहायता मिलती है-पद्यासन, वज्रासन, भुजंगासन, मत्स्यासन. प्रतिदिन कम-से-कम 30 मिनट का व्यायाम करें.
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