लखीमपुर खीरी: शुक्रवार को दुधवा टाइगर रिजर्व से सटी दो अलग-अलग जगहों पर टाइगर के हुए हमलों (Tiger attack in Lakhimpur) में एक महिला समेत दो लोगों की जान चली गई. घटना से भड़के ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी की और शव उठाने से मना कर दिया. आला अफसरों के पहुंचने पर ग्रामीणों ने को समझा-बुझाकर किसी तरह शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा.
दुधवा के फील्ड डायरेक्टर बी प्रभाकर का कहना है कि दोनों जगहों पर निरोधात्मक कार्रवाई हो रही है. टीमों को लगाया गया है. लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है. तिकुनिया इलाके के गांव बाबा पुरवा निवासी प्रीतम सिंह 40 पुत्र जोरा सिंह को जंगल के करीब खेत में गेहूं की फसल की रखवाली करने गए थे. उनकी लाश देर रात बंदरिया जंगल झाड़ी में मिली. अंदेशा है कि शव को बाघ ने खाया है. बाघ ने शरीर का काफी हिस्सा खा लिया था. जिस जगह से शव बरामद हुआ, वह जगह मोहाना नदी के पार है. वहां तक पहुंचने में वन विभाग की टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी. कतर्नियाघाट और निघासन रेंज की टीमें जब मौके पर पहुंची, तो उसके बाद शव को उठाया गया.
दूसरी घटना दुधवा बफर जोन के संपूर्णानगर रेंज की है. यहां कृष्णा नगर गांव की 40 वर्षीय चंद्रावती खेत में गन्ने की छिलाई कर रही थी. अचानक गन्ने के खेत से निकले बाघ ने कृष्णावती को दबोच (Tiger attack near Dudhwa Tiger Reserve) लिया और खींचकर गन्ने के खेत में ले गया. ग्रामीण शोर मचाते रहे पर टाइगर ने महिला को नहीं छोड़ा. काफी देर बाद महिला का शव गन्ने के खेत से इसी तरह बरामद किया गया. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही गोला रेंज में बाघ ने एक युवक को कोंधवा गाँव के पास हमलाकर घायल कर दिया था. बाघ के हमलों की बढ़ती घटनाएं वन विभाग केलिए भी सरदर्द बन रहीं हैं. ग्रामीणों का आक्रोश झेलना पड़ रहा है.
दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक बी प्रभाकर (Dudhwa Tiger Reserve Director B Prabhakar) का कहना है कि गन्ना की फसल खीरी जिले में जंगलों के किनारे होती है. टाइगर जंगल से निकल गन्नों में आ जाते हैं. अब गन्ने की फसल सिमट रही है. इस वजह से बाघ भी इधर-उधर घूम रहे हैं. टाइगर यह नहीं जानते कि यह गन्ना है या जंगल. और कभी-कभी इसी वजह से मनुष्य और टाइगर के बीच में संघर्ष हो जाता है. दुधवा के डायरेक्टर बी प्रभाकर ने बताया कि प्रभावित इलाकों में टीमें लगा दी गयी हैं. गश्त बढ़ा दी गई है. लोगों को समूह में जाने के लिए कहा गया है. खेतों में अकेले न जाएं और जाएं तो शोर मचाते हुए जाएं.
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