लखीमपुर खीरी:यूपी के राइस मिलर्स ने सरकार से हलिंग चार्ज बढ़ाने की मांग की है. मिलर्स ने दो टूक कहा है कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की तरह उनको हलिंग चार्ज 250 रुपये प्रति कुंतल दिया जाए, जबकि यूपी में ये 10 रुपये मिल रहा. राइस मिलर्स एसोशिएशन ने कहा है कि सरकार उनका भाड़ा बढ़ाए, हलिंग चार्ज बढ़ाए और चावल रिकवरी की 67 प्रतिशत की 30 साल पुरानी व्यवस्था को बदले. अन्यथा मिलर इस बार राइस मिल नहीं चलाएंगे. मिलर्स ने मांग की है कि पीसीएफ पर सूख का बकाया मिलर्स का करोड़ों रुपये भी दिलाए.
ये है मसला
राइस मिलर्स का कहना है कि 30 साल पहले मिलर के लिए सरकार ने 67 पर्सेंट चावल की रिकवरी का नियम बनाया था. एक कुंतल में 67 किलो चावल की रिकवरी अब नहीं आती. पहले किसान ओसा कर साफ धान मिल पर लाता था. पर अब 25-30 परसेंट मॉइस्चर का धान मंडी में किसान लाता है, जिसकी रिकवरी 60 परसेंट से ज्यादा नहीं आती. इसलिए रिकवरी के ये पुराने नियम सरकार बदले. वहीं, हलिंग चार्ज भी यूपी में मिलर्स को 10 रुपये कुंतल मिल रहा, जबकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रति कुंतल 250 रुपये सरकार मिलर्स को दे रही. मिलर्स का कहना है कि 30 साल पुराने नियम सरकार राइस इंडस्ट्री को चलाने के लिए बदले.
लखीमपुर राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मिश्रा कहते हैं कि सरकार मैसूर लैब की रिपोर्ट दबाए क्यों बैठी है. चावल रिकवरी की लैब रिपोर्ट को सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए. उन्होने कहा कि सरकार आखिर मैसूर लैब की रिपोर्ट को क्यों छिपा रही. राजीव मिश्रा कहते हैं कि तीस सालों में लेबर ,भाड़ा, बिजली और डीजल सब कितने गुना बढ़ गया इसका सरकार हिसाब लगाए. पर सरकार ने मिलर्स का न हलिंग चार्ज बढ़ाया न ही और कोई खर्च बढ़ाया. उन्होंने कहा कि सरकार अगर जल्द उनकी मांगो पर ध्यान नहीं देती तो मिलर्स इस बार राइस मिल नही चलाएंगे.