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प्रशासन पर उठ रहे कई सवाल, आखिर कैसे 20 साल तक चलता रहा अवैध अनाथ आश्रम ?

अवैध अनाथ आश्रम पर कार्रवाई के बाद प्रशासन पर यह भी सवाल उठना शुरू हो गया है कि, आखिर बीते 20 वर्षों से इस अनाथालय के वैधता की जांच करने की फुर्सत अधिकारियों को क्यों नहीं मिली ?

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Published : Jul 24, 2021, 10:44 AM IST

अवैध अनाथ आश्रम.
अवैध अनाथ आश्रम.

कुशीनगर: पडरौना नगर क्षेत्र से सटे परसौनी कला गांव में बिना पंजीकरण के बीते दो दशक में चल रहे अवैध अनाथ आश्रम में 3 दिन पूर्व प्रशासनिक कार्रवाई के बाद अब मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है. आश्रम की संचालिका के विरुद्ध एक बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा धोखाधड़ी और बाल संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज कराया गया है. साथ ही सिधुआं चौकी इंचार्ज ने सरकारी काम में हस्तक्षेप का मुकदमा दर्ज कराया है. अब कार्रवाई के बीच कई सवाल उठ खड़े हुए हैं. आखिर इतने दिनों के बाद प्रशासन को अनाथ आश्रम के फर्जी होने की बात क्यों समझ आई और पूर्व के दिनों में किस आधार पर संचालिका को बड़े स्तरों पर सम्मानित भी किया गया था.

प्रशासन पर यह भी सवाल उठना शुरू हो गया कि आखिर बीते 20 वर्षों से इस अनाथालय के वैधता की जांच करने की फुर्सत अधिकारियों को क्यों नहीं मिली. सवाल यह भी कि सेवा भाव के साथ अनाथ आश्रम का संचालन करने के कारण ही श्रीमती शिरीन को वर्ष 2014 में लखनऊ के एक बड़े मंच पर तात्कालिक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा किस आधार पर सम्मानित किया गया था. इसके बाद वह वर्ष 2017 में जिला मुख्यालय के गणतंत्र दिवस समारोह में जिला प्रशासन की संस्तुति पर कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और तत्कालीन सांसद राजेश पाण्डेय के हाथ सम्मानित कराया गया था. यदि यह संस्था कानून के मुताबिक काम नहीं कर रही थी तो यह सम्मान देने की लगातार की जा रही संतुस्ति आखिर किस आधार पर थी.

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बता दें कि बीते 15 तारीख को बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने इस अनाथ आश्रम का औचक निरीक्षण किया था और उस दौरान सफाई व्यवस्था के साथ कई अन्य प्रकार की गड़बड़ियों की ओर इशारा करते हुए संचालिका को फटकार लगाई थी. संचालिका द्वारा अनाथ आश्रम का रजिस्ट्रेशन पत्र न होने की बात पर उन्होंने एसडीएम सदर को मौके पर बुलाया और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरा कराने और न करने पर बच्चों की दूसरी जगह शिफ्ट कराने की बात कही थी.

बीते बुधवार को आयोग की सदस्य के रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन की टीम ने अनाथ आश्रम पर भारी पुलिस बल लेकर पहुंची और कुल 25 बच्चों को वहां से निकाला गया. निकालने के दौरान किशोरों ने जब उसका विरोध किया तो उनके साथ अपराधियों की तरह सुलूक भी किया गया. साथ ही जबरन उन्हें वहां से रेस्क्यू कर मेडिकल कराने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर देवरिया बालिका संरक्षण गृह और लखनऊ स्थित केंद्रों पर भेज दिया गया. इसके बाद पडरौना कोतवाली में बाल संरक्षण अधिकारी विनय शर्मा की तहरीर पर अनाथ आश्रम संचालिका शिरीन वसुमता के विरुद्ध धोखाधड़ी और बाल संरक्षण अधिनियम 2015 के तहत पहला केस और दूसरा सिंधुआ पुलिस चौकी इंचार्ज रत्नेश मौर्या के तहरीर पर अनाथ आश्रम संचालिका द्वारा सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए दर्ज कराया गया था.

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