कुशीनगर: जिला अस्पताल में नकली सैनिटाइजर सप्लाई के मामले में पुलिस ने अशोक यादव नाम के फार्मासिस्ट को गिरफ्तार किया है. जिला अस्पताल में कुछ दिन पहले नकली सैनिटाइजर सप्लाई मामले में जिलाधिकारी ने गंभीरता दिखाते हुए जांच के आदेश दिए थे. 19 मई को कोतवाली पडरौना में मुकदमा दर्ज किया गया था. आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसे शनिवार दोपहर जिला न्यालय में पेश किया, जहां से कोर्ट ने उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इसके पहले बहुचर्चित एनआरएचएम घोटाले में भी आरोपी फर्मासिस्ट अशोक यादव का नाम सामने आया था.
एसडीएम पडरौना की जांच में दोषी पाया गया फार्मासिस्ट
लगभग 7 दिन पूर्व जिलाधिकारी ने जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था. इस दौरान जिलाधिकारी को नकली सैनिटाइजर के संबंध में शिकायत भी मिली थी. इस पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने जांच कर कर्रवाई के निर्देश दिए थे. इसके बाद 19 मई को सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र प्रसाद गुप्ता की तहरीर पर पडरौना कोतवाली में इस संबंध में मुकदमा दर्ज किया गया था. वहीं, इस मामले में एसडीएम पडरौना कोमल यादव की जांच रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया सीएमओ कार्यालय में तैनात फार्मासिस्ट अशोक यादव को दोषी पाया गया. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.
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शनिवार को पूछताछ के लिए आरोपी को बुलाया था
बताया जा रहा है कि बुधवार को सीएमओ की तरफ से बंद लिफाफे में भेजी गई तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत करने के बाद पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लिया था. इसके बाद पुलिस ने कुछ ही घंटों में उसे छोड़ दिया. इसके बाद शनिवार सुबह इस मामले के विवेचक एसएसआई अमित कुमार राय ने आरोपी फार्मासिस्ट को फोन कर पूछताछ के लिए बुलाया और लंबी पूछताछ के बाद आरोपी फार्मासिस्ट अशोक यादव को हिरासत में ले लिया गया.
यह है पूरा मामला
बताया जा रहा है कि कोरोना आपदा में मंगाए गए सैनिटाइजर को खराब बताकर उसे दोबारा मंगवाया जाता था और दोबारा चेक से भुकतान किया जाता था. कोतवाली पुलिस के अनुसार मुकदमा अपराध संख्या 208/2021 के तहत 419, 420, 467, 468, 471 सहित अन्य गंभीर धाराओं में बुधवार को एफआईआर पंजीकृत की गई थी. इसके बाद आरोपी फार्मासिस्ट अशोक यादव को गिरफ्तार किया गया और न्यायालय के आदेशों पर उसे जिला जेल देवरिया भेज दिया गया. आरोपी अशोक यादव की तरफ से अधिवक्ता रामवृक्ष यादव ने उसकी जमानत के लिए प्रार्थना पत्र न्यायालय के समक्ष रखा, जिस पर न्यायालय ने विचार करने की बात कही है.
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