उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

कासगंज: गन्ने की मिठास में छिपी किसानों की कड़वाहट

उत्तर प्रदेश के कासगंज में गन्ना किसानों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. गन्ना किसानों को गन्ने का समर्थन मूल्य सरकार द्वारा घोषित न होने पर किसानों को पुराने रेट में गन्ना बेचना पड़ रहा है.

etv bharat
पुरानी दरों में बेचना पड़ रहा है गन्ना

By

Published : Dec 1, 2019, 12:46 PM IST

कासगंज:ना जाने कितने नामों से पुकारा जाने वाला किसान हमेशा स्वार्थपरक नीतियों के चलते छला जाता है. विशेषकर गन्ना किसान की स्थिति अत्यंत दयनीय होती है. कासगंज में गन्ना किसान गन्ने का समर्थन मूल्य सरकार द्वारा घोषित न किए जाने एवं बकाया भुगतान न मिलने से मायूस है. किसानों की कुछ जमीनी स्तर पर भी समस्याएं गन्ना किसानों को परेशान कर रही हैं.

जानकारी देते हुए संवाददाता
कासगंज में गन्ना किसानों पर कई तरीके से मार पड़ रही है. दरअसल गन्ने की तीन प्रकार की प्रजातियां बोई जाती हैं.1.अर्लियर

2.मध्यम

3.सामान्य


अर्लियर गन्ना काफी मुलायम व उच्च गुणवत्ता वाला होता है. इसके बाद मध्यम व सामान्य दर्जे का गन्ना होता है. कुछ किसानों ने अर्लीयर गन्ने की बुवाई की है तो कुछ ने मध्यम दर्जे की और कुछ किसानों ने सामान्य दर्जे के गन्ने की बुवाई की है. फसल पक कर तैयार है, लेकिन चीनी मिलों में अभी सिर्फ अर्लीयर गन्ने की खरीद की जा रही है. अर्लीयर गन्ने का उत्पादन करने वाले किसानों का कहना है कि उनको पर्ची नहीं मिल रही है. सामान्य और मध्यम दर्जे के गन्ने की खरीद भी दिसंबर माह में होनी बताई जा रही है. गन्ने की खरीद न होने के चलते गन्ने की फसल खेतों में खड़ी है जिसकी वजह से दूसरी फसल का समय निकला जा रहा है.

पुराने रेट में गन्ना बेचने को किसान मजबूर

किसानों की पर्ची कटी होने के बावजूद किसानों को पुराने रेट पर ही गन्ना बेचना पड़ रहा है. यहां तक कि सरकार द्वारा गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित न करने के चलते अपने गन्ने को चीनी मिलों में बेचना किसान की मजबूरी है. अगर वह अपना गन्ना नहीं बेचते हैं तो उनका गन्ना खेतों में सड़ जाएगा. इसकी वजह से किसान को अपना गन्ना दाम तय न होने के बावजूद बेचना पड़ रहा है.

खेत से गन्ना गन्ना सेंटर तक लाने और ले जाने के लिए पर्याप्त लेबर नहीं है इसकी वजह से खुद गन्ने की ढुलाई करनी पड़ रही है. अभी तक पिछला बकाया भी नहीं मिला है, जबकि सरकार ने 30 नवंबर तक गन्ना किसानों का भुगतान करने का वादा किया था.

किसान

गन्ना बेचने के 1 साल बाद पैसा मिलने से किसानों को क्या फायदा है. कई किसान तो ब्याज में पैसे लेते हैं. उन पर बैंक या तो साहूकार का ब्याज चढ़ता है. हमारी सरकार से मांग है कि सरकार गन्ना खरीदने से पहले गन्ने का रेट तय करें और गन्ने का समय से भुगतान हो.
किसान

ABOUT THE AUTHOR

...view details