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कानपुर: सिर्फ विजयदशमी के दिन खुलता है रावण का ये मंदिर, भक्त करते हैं पूजा-अर्चना

पूरा देश जहां दशहरा के दिन रावण दहन कर खुशियां मनाता है, वहीं कुछ लाेग ऐसे भी हैं जाे रावण की विशेष अराधना करते हैं. यह पूजा केवल विजयदशमी के दिन ही हाेती है. कानपुर में स्थित दशानन रावण के मंदिर में विजयदशमी के दिन सुबह से भक्त पूजा के लिए आते हैंं. खासकर यहां महिलाएं अपने सुहाग और संतान की लंबी आयु की कामना के लिए दशानन रावण की सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करती हैं.

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Published : Oct 25, 2020, 5:51 PM IST

विजयदशमी पर होती है दशानन रावण की पूजा
विजयदशमी पर होती है दशानन रावण की पूजा

कानपुर:अधर्म पर धर्म की और असत्य पर सत्य का त्योहार विजयदशमी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. आज के दिन लंकेश रावण का पुतला बुराई के प्रतीक के रुप में जलाते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश में कानपुर में एक ऐसा मंदिर हैं, जहां विजयदशमी के ही दिन रावण की पूजा की जाती है. इस मंदिर की खास बात यह है कि साल से सिर्फ एक दिन मंदिर खुलता है. विजयदशमी के दिन इस मंदिर में पूरे विधिविधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रृंगार किया जाता है.

विजयदशमी पर होती है दशानन रावण की पूजा


रावण का ये प्रसिद्ध मंदिर उद्योग नगरी कानपुर में मौजूद है. विजयदशमी के दिन इस मंदिर में पूरे विधिविधान से रावण के पूजन के साथ स्तुति कर आरती की जाती है. साथ ही दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रृंगार किया जाता है. इतना ही नहीं यहां महिलाएं अपने सुहाग और संतान की लंबी आयु की कामना के लिए दशानन रावण की सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करती हैं. रावण का यह मंदिर केवल विजयदशमी के मौके पर ही खोला जाता है.

क्यों होती है रावण की पूजा
ब्रह्म बाण नाभि में लगने के बाद और रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया था. वह समय था जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ खड़े हो कर सम्मान पूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो. क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न ही कभी होगा. रावण का यही स्वरूप पूजनीय है और इसको ध्यान में रखकर कानपुर में रावण के पूजन का विधान है.

कब बना रावण मंदिर
सन् 1868 में तत्कालीन राजा ने मां छिन्नमस्तिका का मंदिर कानपुर में बनवाया था. उन्होंने ने ही रावण के 5 फुट की मूर्ति भी उनके प्रहरी के रूप में बनवाई थी. तब से लेकर आज तक निरंतर रावण की पूजा होती है. लोग हर वर्ष इस मंदिर के खुलने का इन्तजार करते हैं. मंदिर खुलने पर यहां पूजा अर्चना बड़े धूमधाम से करते हैं.

मनोकामनाएं होती हैं पूरी
कानपुर में मौजूद रावण के इस मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से लोगों के मन की मुरादें भी पूरी होती हैं. इसीलिए यहां दशहरे पर रावण की विशेष पूजा करते हैं. आज के दिन ही रावण का जन्मदिन भी मनाया जाता है. बहुत कम लोग जानते होंगे कि रावण को जिस दिन राम के हाथों मोक्ष मिला उसी दिन रावण पैदा भी हुआ था.

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