कानपुर: जिले के बिकरू गांव में बीती 2 जुलाई को हुए पुलिस एनकाउंटर के बाद भले ही विकास दुबे फरार हो गया हो, उसके ऊपर ढाई लाख का इनाम ही क्यों न रखा गया हो. पुलिस और एसटीफ की कई टीमें उसकी तलाश में जुटीं हों, लेकिन फिर भी ग्रामीणों में अभी भी उसके लौट कर आने को लेकर दहशत है. गांव वाले उसके खिलाफ क्या, उसकी बात करने भी डरते हैं. गांव वालों का विकास दुबे के खिलाफ कुछ नहीं बोलने से पता चलता है कि विकास दुबे का गांव में कितना भय है.
'विकास किसी को नहीं छोड़ेगा'
गांव वालों ने कहा कि जब गुरुवार की रात भी फायरिंग की आवाजें आईं, तो इसे आम दिनों की तरह गोलियों की तड़तड़ाहट समझकर किसी ने अपने घरों से बाहर निकलना मुनासिब नहीं समझा. विकास दुबे के खिलाफ बयान देने के सवाल पर ग्रामीणों ने साफ कहा कि अगर वो बचकर आ गया तो किसी को नहीं छोड़ेगा. गांव के सभी लोग उसका नाम तक नहीं लेते, बल्कि पंडित जी कह कर पुकारते हैं.
असलहों की टेस्टिंग करता था विकास दुबे
2 जुलाई गुरुवार की रात जब विकास और उसके गुर्गे पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसा रहे थे तो उस वक्त ग्रामीण अपने घरों में आराम से सो रहे थे. कुछ गांव वालों का कहना है कि गांव में आए दिन कभी किसी से विवाद को लेकर तो कभी सिर्फ असलहों की टेस्टिंग के कारण अक्सर विकास दुबे के घर से फायरिंग की आवाजें आती रहती थीं.