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श्रीहरिकोटा से ढाई किमी दूर बैठकर चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग देखेंगे कानपुर के सुनील

चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है. श्रीहरिकोटा से करीब ढाई किमी. दूर से करीब तीन हजार से ज्यादा लोग इस ऐतिहासिक पल को देख सकेंगे.

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Published : Jul 14, 2023, 9:11 AM IST

कानपुर :देश के लिए शुक्रवार का दिन बेहद ख़ास है. सब कुछ ठीक ठाक रहा तो दोपहर करीब 2:35 बजे श्रीहरिकोटा से ढाई किलोमीटर की दूरी पर बने इसरो के अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग होगी और इस लॉन्चिंग सेरेमनी को देखने देश और दुनिया से करीब तीन हज़ार से ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं. इस पल के साक्षी बनने के लिए कानपुर के सुनील मंगल भी पहुंच गए हैं. सुनील गुरुवार को ही श्रीहरिकोटा के सतीश धवन केंद्र पहुंच गए थे. पहले वह रिहर्सल में शामिल हुए, इसके बाद उत्साह के साथ अपने सभी परिचितों को उन्होंने जानकारी दी. अब वह लॉन्चिंग सेरेमनी में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

लॉन्चिंग देखेंगे कानपुर के सुनील

सुनील ने बताया कि 'इससे पहले भी वह श्रीहरिकोटा जा चुके हैं. साल 2019 में ज़ब चंद्रयान-2 कि लॉन्चिंग हुई थी, तब भी उस ऐतिहासिक पल के गवाह बने थे. सुनील ने ये भी कहा कि इस समारोह में जाने के लिए आपको सुरक्षा सम्बन्धी बेहद सख्त नियमों का पालन करना होता है. उन्हें आवेदन के बाद कुछ दिक्क़तें जरूर हुईं, मगर दम्भ भरकर कहते हैं कि ऐसे मौकों पर ज़ब भारत के लिए गर्व का विषय हो और आप वहां हों तो जो अनुभूति मिलती है उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते.'

लॉन्चिंग देखेंगे कानपुर के सुनील

चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की तैयारी : सुनील ने बताया कि 'जब रिहर्सल खत्म हुआ तो उन्होंने कुछ वैज्ञानिकों से संवाद किया. वैज्ञानिकों ने उन्हें बताया कि चंद्रयान-3 को इस बार चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की तैयारी है. चंद्रयान का लैंडर ऐसा डिजाइन किया गया है, जिससे चंद्रयान को नियंत्रित गति से उतारा जा सकेगा. उन्होंने कहा की समारोह शुरू होने से कई घंटे पहले ही सभी का प्रवेश उस स्टेडियम में होगा, जहां से लोग चंद्रयान की लॉन्चिंग देख सकेंगे.'

संस्था का संचालन करते हैं सुनील :वैसे तो कानपुर के केशवपुरम निवासी सुनील मंगल एलआईसी का काम करते हैं. इसके अलावा वह दिव्यांगों को कम्प्यूटर ट्रेनिंग मिल सके, इसके लिए दृगश्रम संस्था का भी संचालन करते हैं. इस संस्था के माध्यम से वह सैकड़ों दिव्यांगों को प्रशिक्षित कर चुके हैं.

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