कानपुर: शहर में फरवरी की शुरुआत में ही दोपहर गर्म हो रही है. आलम यह है कि फरवरी में गर्मी ने 52 साल का पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. वर्ष 1971 के बाद पहली बार फरवरी के पहले हफ्ते में तापमान 30.8 डिग्री पहुंचा है. इससे पहले कभी भी 10 फरवरी से पहले यह तापमान 31 डिग्री से अधिक नहीं रहा है. यदि लगातार तापमान चढ़ता गया तो इससे गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है.
चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पांडे का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ इसका सबसे बड़ा कारण है. लेकिन जलवायु परिवर्तन को भी इसका जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. 24 घंटे में ही हवा की दिशा बदल गई है. हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पश्चिम हो गया है. इससे मौसम में बदलाव हो गया है. एक फरवरी से 7 दिनों तक अधिकतम तापमान में लगातार वृद्धि ही हुई है. इसके विपरीत रात में तापमान में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है.
फरवरी माह में अचानक पारा चढ़ने की वजह से लोग गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं. जीएसवीएम के प्रोफेसर डॉ. संजय काला ने बताया की जिस तरह से फरवरी के शुरुआत में पारा बढ़ रहा है. उससे यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. डॉ. संजय काला ने बताया कि सांस संबंधी रोगों के साथ साथ वायरल फीवर और आंख संबंधी रोग बढ़ सकते हैं. पारा चढ़ने की वजह से प्रदूषण की वजह से रोग बढ़ जाते हैं. इन बीमारियों से बचने के लिए सावधानियां बेहद जरूरी है. जिन्हें सांस संबंधित बीमारियां हैं. ऐसे लोंगो को घर से कम निकलना चाहिए. साथ ही मास्क का प्रयोग करना चाहिए.