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कानपुर के संवासिनी गृह का विवादों से है पुराना नाता, पहले भी उठे हैं गंभीर सवाल

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले का संवासिनी गृह एक बार फिर से सुर्खियों में है. मामला 57 संवासिनियों के कोरोना संक्रमित और 7 बालिकाओं के गर्भवती पाए जाने का है. फिलहाल इस मामले के सामने आने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है. बता दें कि इस संवासिनी गृह पर कोरोना काल के पहले से ही गंभीर सवाल उठते रहे हैं. देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट...

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कानपुर के संवासिनी गृह का विवादों से है पुराना नाता.

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Published : Jun 22, 2020, 6:31 PM IST

कानपुर:जिले के स्वरूप नगर स्थित राजकीय बालिका गृह में 57 संवासिनियां कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं. वहीं 7 बालिकाओं के गर्भवती पाए जाने का मामला भी सामने आया है. कानपुर के संवासिनी गृह पर हमेशा से गंभीर सवाल उठते रहे हैं. संवासिनी गृह में महिलाओं के गर्भवती होने के मामले में जब विपक्ष ने हल्ला मचाया तो प्रशासन के आलाधिकारियों ने बयान जारी करते हुए कहा कि बालिकाएं संवासिनी गृह में लाए जाने के समय से ही गर्भवती थीं.

स्पेशल रिपोर्ट...

हैरान करने वाली बात यह है कि कानपुर के जिलाधिकारी ब्रह्मदेव राम तिवारी भले ही दावा कर रहे हों कि शेल्टर होम में आने से पहले ही 7 संवासिनी गर्भवती थीं, लेकिन संक्रमित लड़कियों के बैक हिस्ट्री के दस्तावेज, जो कि शेल्टर होम के रिकॉर्ड रूम में है, उसे वे सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं. इसके चलते उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.

क्या कहते हैं जिलाधिकारी
जिलाधिकारी ब्रह्मदेव राम तिवारी ने बताया कि इस संरक्षण गृह में कुल 57 संवासिनियां कोरोना पॉजिटिव पाई गईं. कुल संरक्षित बालिकाओं में 07 बालिकाएं गर्भवती पाई गईं, जिसमें 5 कोरोना पॉजिटिव हैं. शेष दो कोरोना निगेटिव पाई गईं हैं. पांचों कोरोना पॉजिटिव क्रमशः जनपद आगरा, एटा, कन्नौज, फिरोजाबाद और कानपुर के बाल कल्याण समिति से संदर्भित करने के पश्चात यहां रह रही थीं. उन्होंने कहा कि सातों बालिकाएं प्रवेश के समय से ही गर्भवती थीं. उन्होंने बताया कि दो बलिकाओं का हैलट में, जबकि तीन का रामा मेडिकल कॉलेज में कोरोना प्रोटोकाल के अनुसार इलाज कराया जा रहा है.

जिला प्रोबेशन अधिकारी की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति.

राज्य महिला आयोग की सदस्य ने दी सफाई
ईटीवी भारत से बातचीत में राज्य महिला आयोग की सदस्य पूनम कपूर ने बताया कि पूरे मामले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है. साथ ही उन्होंने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि बालिका गृह में काफी बच्चियां पॉक्सो एक्ट के तहत आती हैं. उन्होंने शेल्टर होम को किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट करने की बात कही है.

शेल्टर होम कैसे बना कोरोना होम
बीते 14 जून को शेल्टर होम की एक लड़की में कोरोना वायरस का लक्षण देखने के बाद जब उसका कोरोना टेस्ट कराया गया तो वह पॉजिटिव निकली, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सोमवार को संवासिनी गृह से 145 लोगों का सैंपल कोविड-19 टेस्ट के लिए भेजा, जिसकी पहली रिपोर्ट 17 जून को आई. इसमें 33 संवासिनियों को कोरोना संक्रमित पाया गया. दूसरी रिपोर्ट 18 जून को आई, जिसमें 17 संवासिनियों को कोरोना पॉजिटिव पाई गई. जबकि 19 जून की देर रात आई कोरोना रिपोर्ट में 8 बालिकाओं में संक्रमण की पुष्टि हुई, जिसके बाद पूरा आंकड़ा 57 पर पहुंच गया. वहीं मामला सामने आने के बाद अब पूरे शेल्टर होम को सील कर दिया गया है.

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब कोरोना संक्रमित संवासिनियों को इलाज के लिए रामा मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया तो पता चला कि इनमें से 7 संवासिनियां गर्भवती हैं, जिनमें से 17 साल की दो लड़कियां 8 महीने की प्रेग्नेंट भी हैं. इतना ही नहीं एक गर्भवती लड़की एचआईवी पीड़ित है तो वहीं दूसरी हेपेटाइटिस- C से ग्रसित है. आनन-फानन में दोनों नाबालिगों को इलाज के लिए हैलट अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया.

कानपुर: संवासिनी गृह में कोरोना पॉजिटिव मामले में प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप

कोरोना काल से पहले भी उठते रहे हैं सवाल
सन् 2018 में एक संवासिनी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि रेप के बाद संवासिनी की हत्या कर दी गई. उस वक्त कार्रवाई के नाम पर तत्कालीन जिला प्रोबेशन अधिकारी को हटा दिया गया था. वहीं इससे एक माह पहले भी एक संवासिनी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी, लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. सन् 2009 में संवासिनियों के भागने का मामला भी प्रकाश में आया था, जिसमें संवासिनी गृह की लड़कियों ने प्रताड़ना का आरोप लगाया था.

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