कानपुर:शहनाई उस्तादों के आंगन से शाही शादियों के पंडालों तक अपने पैर पसारने वाली शहनाई अब कहीं खोती जा रही है. कभी शहनाई का शाही अंदाज इस कदर परवान चढ़ा था कि बनारस ही नहीं, बल्कि कानपुर के पास एक गांव को ही शहनाई वादकों ने बसा डाला था. आज आधुनिकता के दौर और पाश्चात्य संगीत की दुनिया ने शहनाई की धुन को न केवल दबा दिया है, बल्कि अब बंदी की कगार पर जा पहुंची है.
शहनाई वादकों का गांव है मझावन
कानपुर महानगर के जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर एक खास गावं 'मझावन' इसलिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यह पूरा गावं शहनाई वादकों का है. पिछले कई दशकों से चौथी और पांचवीं पीढ़ी तक के लोग केवल शहनाई वादन के बल पर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. वर्तमान में जैसे-जैसे डीजे, डिस्को ने संगीत की शक्ल अख्तियार कर ली, वैसे-वैसे शहनाई की मीठी आवाज खामोश होती चली गई.