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कानपुर: 10 साल से मांग रहा था परमिट, अब मांगी इच्छामृत्यु

यूपी के कानपुर जिले में एक बुजुर्ग ने आरटीओ अधिकारियों से परेशान होकर राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की है. पीड़ित का आरोप है कि आरटीओ विभाग के अधिकारी उसकी सुनवाई नहीं कर रहे हैं. 2010 में टैम्पो परमिट के लिए आवेदन किया, लेकिन 10 साल बाद भी नहीं मिला.

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Published : Oct 15, 2020, 3:08 AM IST

पीड़ित बुजुर्ग महेश नारायण अवस्थी
पीड़ित बुजुर्ग महेश नारायण अवस्थी

कानपुर:जिले में आरटीओ अधिकारियों की लापरवाही के कारण एक बुजुर्ग को राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग करनी पड़ी है. पीड़ित का आरोप है कि उसने आरटीओ में टैम्पो के परमिट के लिए सालों पहले पैसा जमा किया था, लेकिन घूस न देने पर उसे परमिट नहीं मिल रहा है. वह सालों से अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है.

पीड़ित बुजुर्ग महेश नारायण अवस्थी

क्या है पूरा मामला
कानपुर के पनकी निवासी महेश नारायण अवस्थी ने साल 2010 में आरटीओ कानपुर में टैम्पो परमिट के लिए अप्लाई किया था. इसके लिए बकायदे उन्होंने उसकी फीस भी जमा कर दी थी, लेकिन उन्हें क्या पता कि आरटीओ में बिना पैसों के कोई काम नहीं होता. यही वजह है कि 10 साल बीत चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी तक परमिट नहीं मिला.

लाखों में बिकता है हजारों का परमिट
पीड़ित का कहना है कि ऐसा नहीं है कि विभाग में परमिट बन नहीं रहे हैं. हर साल हजारों परमिट निकलते हैं. अधिकारी पूरे नियम से उसका गजट करके परमिट आने की सूचना जनता को देते हैं. लेकिन दलालों से सांठगांठ कर हज़ारों के परमिट को लाखों में बेच दिया जाता है. यही वजह है कि भोली-भाली जनता को इसका लाभ नहीं मिल पाता. ऐसा नहीं कि जिले के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है. सबको सब कुछ पता है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है, क्योंकि अधिकारियों तक भी कुछ हिस्सेदारी पहुंच जाती है.

टैंपो छुड़ाने के लिए मांग रहे कमीशन
पीड़ित महेश नारायण को जब विभाग से परमिट नहीं मिला तो वह किराए पर टैंपो चलाकर अपने घर का खर्च किसी तरह से चलाने लगे. लेकिन यहां भी साल 2019 में आरटीओ ने उनके टैम्पो को बंद कर दिया. पीड़ित महीनों से गाड़ी छुड़वाने के लिए कानपुर आरटीओ के चक्कर लगा रहा है, लेकिन बिना कमीशन के उनका टैम्पो नहीं छोड़ा जा रहा है.

आरटीओ अधिकारियों के इस भ्रष्टाचार से परेशान होकर मजबूरन पीड़ित ने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की है. इसके पहले पीड़ित ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर जिले के अधिकारियों से की, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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