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कानपुर: रैन बसेरों में न लाइट और न सोने की व्यवस्था, फुटपाथ पर सो रहे लोग

दीवाली की रात जहां पूरा शहर रोशनी से नहाया हुआ था वहीं एक तबका अपनी दो जून की रोटी की व्यवस्था कर फुटपाथ पर सोने को मजबूर था क्योंकि कानुर जिले के जिम्मेदार नींद में है और उन्हें यह फुटपाथ पर सोते लोग नजर नहीं आ रहे हैं. एक तरफ प्रदेश के मुखिया रैन बसेरे की शक्ल बदलने की बात कह रहे हैं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर हालात बदतर है.

negligence in shelter homes
सड़क किनारे सोने को मजबूर लोग

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Published : Nov 15, 2020, 3:40 PM IST

Updated : Nov 15, 2020, 10:36 PM IST

कानपुर: सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने सर्दी की शुरुआत होने के साथ ही 6 नवंबर को अधिकारियों की बैठक में तीन दिन में रैन बसेरों को तैयार करने और उसमें निअश्रित लोगों को प्रशासन पहुंचाने को कहा गया, लेकिन जमीनी स्तर पर पटाखों के धुएं की तरह यह आदेश भी उड़ा दिया गया. आदेश को आएं 9 दिन से ऊपर हो गया, लेकिन लोग अभी भी सड़कों पर सोने को मजबूर है और रैन बसेरे में न तो कोई ले जाने वाला है और न ही रैन बसेरों की यह स्थिति है की कोई वहां कोई रह सकें. उनकी बदहाली की कहानी वो खुद बयां कर रहे हैं. वहीं जिम्मेदार सिर्फ जल्द स्थिति सुधारने की बात कहकर अपना पल्ला झाड रहे हैं.

सड़क किनारे सोने को मजबूर हैं लोग

फुटपाथ पर बचपन सोने को मजबूर
लगातार शासन के आदेशों के बाद भी अभी लोग फुटपाथ पर सो रहे हैं. उन्हें रैन बसेरों में कहीं ताला लटका मिला है तो कहीं की स्थिति इतनी बदतर है कि वहां व्यक्ति सो ही नहीं सकता. कहीं जाले लगे हैं तो कहीं गंदगी फैली हुई है.

रैन बसेरा

रैन बसेरे में लाइट न सोने को तख्त
जब ईटीवी भारत की टीम दीवाली की रात रैन बसेरे पहुंची तो रैन बसेरे में पहले तो गेट पर ताला था. बसेरे के अंदर एक भी व्यक्ति नहीं सो रहा था. पुरुष कक्ष में गंदगी फैली थी तो महिला कक्ष में लाइट तक की व्यवस्था तक नहीं थी. इसी के साथ बिस्तर के नाम पर न कंबल थे और न ही तख्त पड़ा था.

एक हफ्ते और लगेगा
जोन 6 के अभियंता आर के सिंह से जब रैन बसेरों को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि अभी रैन बसेरों को लेकर काम शुरू हुआ है और अभी इस रैन बसेरों को लेकर एक हफ्ते और लगेगा उसके बाद इसकी स्थिति भी सुधर जाएगी. ऐसे आदेशों और हालात को देख शायर का शेर याद आता है कि "तुम्हारी फ़ाइल में गांव का मौसम गुलाबी है मगर यह आदेश झूठे है यह दावा किताबी है". शासन की यह आदत कि आदेश आना और उसका पूरा न हो पाना फिर उसको पूरा करने को लेकर फिर नया आदेश, लेकिन आदेशों के इस जाल में गरीब बेहाल था और अभी भी बेहाल है.

Last Updated : Nov 15, 2020, 10:36 PM IST

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