कानपुरः 'आईआईटी कानपुर' और 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण' ने 'सीए फोसकारी विश्वविद्यालय वेनिस', 'सोप्रीडेंडेंजा आर्कियोलॉजी' और 'बेरी आरती ई पेसगासियो इटली' के साथ वैज्ञानिक अध्ययन, कौशल विकास, ऐतिहासिक धरोहर और अन्य गतिविधि के संरक्षण के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके अंतर्गत सभी एक साथ मिलकर ऐतिहासिक स्मारकों की बहाली और संरक्षण के लिए कार्य करेंगे. एमओयू वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए साइन हुआ.
IIT कानपुर और इटली का यह विश्वविद्यालय मिलकर संरक्षित करेंगे धरोहर - सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मुकेश शर्मा
आईआईटी कानपुर और इटली के काफोसकारी विश्वविद्यालय ने एमओयू साइन किया है. इसके अंतर्गत वह ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण करेंगे. इस संबंध में आईआईटी कानपुर के निदेशक ने ट्वीट कर इस संबंध में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि इटली और भारत का ऐतिहासिक धरोहरों को लेकर वर्षों पुराना रिश्ता रहा है.
आईआईटी कानपुर के निदेशक ने दी जानकारी
बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय के अधीन है जो भारत सरकार पुरातात्विक अनुसंधान और राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए प्रमुख संगठन है. यह भारत की प्रचीन धरोहरों के पुनर्रुद्धार और संरक्षण के लिए कार्य करती आई है. 'सीए फोसकारी यूनिवर्सिटी' इटली के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक मानी जाती है. क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के अनुसार यह 751-800 रैंक पर है. एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद आईआईटी कानपुर के निदेशक अभय करंदीकर ने ट्वीट करते हुए इस सहयोग के पीछे का विचार बताया. उन्होंने कहा कि इटली और भारत दोनों में राष्ट्रीय महत्व के हिसाब से ऐतिहासिक स्मारक हैं. इन स्मारकों को संरक्षित करने और पुनर्स्थापित करने में दशकों से अद्वितीय अनुभव रहा है.
मिलकर काम करेंगे इटली और भारत
उन्होंने आगे बताया कि इस सहयोग से ज्ञान, अनुभव, शैक्षणिक सामग्री और प्रकाशनों को साझा करने, संयुक्त क्षेत्रों के अध्ययन और प्रौद्योगिकी विकास के लिए आवश्यक कार्य होंगे. साथ ही मोन्यूमेंट्स की सुरक्षा को बढ़ावा देने के अवसर भी मिलेंगे. इस एमओयू के तहत गतिविधियों का समन्वय सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मुकेश शर्मा और आईआईटी कानपुर के निदेशक अभय द्वारा किया जाएगा.