कानपुर: सूबे के लाखों गन्ना किसानों के लिए कानपुर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) से एक अच्छी खबर सामने आई है. अब गन्ना किसान अपने खेतों में गन्ने की फसल के साथ मीठी ज्वार भी उगा सकेंगे. किसानों को गन्ने की 2 कतारों के बीच में इसे लगाना होगा. एनएसआई के वैज्ञानिकों ने करीब 5 सालों के शोध कार्य के बाद ये सफलता हासिल की है.
दरअसल, एनएसआई के वैज्ञानिकों को भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान हैदराबाद से मीठी ज्वार की 5 प्रजातियां- csh22ss, ss74, ss84, फूले वसुंधरा और icssh28 मिली थी. वैज्ञानिकों ने इन दोनों प्रजातियों को बलरामपुर शुगर मिल्स और डालमियां भारत शुगर मिल्स में तैयार कराया है. कई सालों बाद इनके रोचक परिणाम सामने आए. यहां 50-55 टन प्रति हेक्टेयर में यह फसलें लहलहा गई. साथ ही यहां 45-50 लीटर प्रति मीट्रिक टन एथेनॉल उत्पादन हुआ. ऐसे में वैज्ञानिकों ने दावा किया कि अगर किसान इस फसल को तैयार करेंगे, तो एक अनुमान के मुताबिक उनकी सालाना आय में करीब 35 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इसके अलावा 30 प्रतिशत तक एथेनॉल तैयार किया जा सकेगा. इससे एक नई फसल से 2 फसलों के लाभ मिल सकेंगे.