कानपुर: बहुचर्चित बिकरु कांड को लेकर गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की संस्तुति पर अब 11 सीओ के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई है. सभी 11 क्षेत्राधिकारियों की साठगांठ से न सिर्फ कुख्यात विकास दुबे का शस्त्र लाइसेंस बन गया था, बल्कि उसने अपने गुर्गों समेत रिश्तेदारों के भी आर्म लाइसेंस बनवा लिए थे, जबकि उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे भी दर्ज थे. डीआईजी प्रीतिंदर सिंह ने सभी सीओ की जांच एसपी वेस्ट डॉ. अनिल कुमार को सौंपी है.
एसआईटी ने खंगाला था कुख्यात विकास दुबे का साम्राज्य
एसआईटी ने कुख्यात विकास दुबे की काली कमाई से खड़े किए गए आर्थिक सम्राज्य की पूरी कुंडली परत दर परत खंगाली थी. एसआईटी ने विकास दुबे के पूरे 37 साल के सफर के ब्यौरे को जांचा था. जब जांच कमेटी ने शस्त्र लाइसेंस को लेकर गहनता से पड़ताल की तो पता चला कि आपराधिक मुकदमों की लंबी फेहरिस्त के बावजूद पुलिस की मिलीभगत से विकास ने अपना और करीबियों के शस्त्र लाइसेंस बनवा लिए थे.
इन 11 सीओ के खिलाफ विभागीय जांच
एसआईटी की संस्तुति पर पहले से 37 पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है, लेकिन 11 सीओ के नाम सामने आने से महकमे में हड़कंप मच गया है.
- नंदलाल - तत्कालीन सीओ, बिल्हौर
- प्रेम प्रकाश - तत्कालीन सीओ, बिल्हौर
- सुभाष चंद्र शाक्य - तत्कालीन सीओ, बिल्हौर
- करूणाकर राय - तत्कालीन सीओ, बिल्हौर
- सुंदर लाल - तत्कालीन सीओ, बिल्हौर
- राम प्रकाश - तत्कालीन सीओ, बिल्हौर
- अमित कुमार - तत्कालीन सीओ कार्यालय, पासपोर्ट
- हरेंद्र कुमार - तत्कालीन सीओ, सीसामऊ
- लक्ष्मी निवास - तत्कालीन सीओ, अकबरपुर
- 12 जुलाई 1997 को नियुक्त तत्कालीन सीओ रसूलाबाद
- 24 जुलाई 1997 को नियुक्त तत्कालीन सीओ बिल्हौर