कानपुर: गर्मी का सीजन शुरू होते ही गंगा नदी की जलधारा आधी हो जाती है. कानपुर में गंगा नदी का यह स्वरूप जल प्रेमियों के लिए कष्टमय होता है. साथ ही जलीय जीवों के लिए भी कष्टकारी हो जाता है. जलीय जीवों के लिए एक तरह से जीवन लेने वाला समय आ जाता है. इस बार भीषण गर्मी में गंगा की जलधारा में अधिक कमी हो गई है. यहां गंगा नदी के जल स्तर में कमी की वजह से शहर में पेयजल की आपूर्ति व्यवस्था पर असर पड़ा है.
गर्मी में मरते हैं अधिक जलीय जीव: कानपुर में गंगा नदी का सिकुड़ता यह दायरा जलीय जीवों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. गंगा नदी की जलधारा में कमी होने से विशेषज्ञ भी हैरान हैं. कानपुर वन विभाग के अधिकारियों की रिपोर्ट बताती है कि गर्मी आते ही हर साल औसतन 10 फीसद जलीय जीव मर जाते हैं. इनमें सबसे अधिक मछलियां शामिल हैं. लेकिन तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के चलते गंगा में जलीय जीवों का रह पाना मुश्किल हो जाता है. क्योंकि आधे क्षेत्र में गर्म रेतीली मिट्टी और आधे भाग में सिकुड़ती गंगा नदी की जलधारा होती है.
विशेषज्ञों की राय: कानपुर जू के डॉक्टर अनुराग सिंह ने बताया कि जलीय जीवों के लिए पानी में घुलित ऑक्सीजन की मत्रा सबसे अधिक जरूरी है. जिसे हम सामान्य भाषा में डिसॉल्व ऑक्सीजन कहते हैं. इसके अलावा पानी का तापमान और पानी की गुणवत्ता भी जरूरी है. यह तीनों मानक जलीय जीवों के ठहरने और जीवित रहने के लिए जरूरी होते हैं. लेकिन जब गंगा में पानी घट जाता है तो यह तीनों ही प्रभावित होते हैं. जब पानी का बहाव अच्छा और तेज होता है तो जलीय जीवों को कोई दिक्कत नहीं होती है. लेकिन जब पानी की मात्रा कम होती है तो घुलित ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है. साथ ही पीएच का स्तर बढ़ने से तापमान अनियंत्रित हो जाता है. ऐसे में जलीव जीव सांस नहीं ले पाते और दम तोड़ने लगते हैं.