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सपा के पूर्व विधायक रामस्वरूप सिंह गौर पंचतत्व में हुए विलीन, बैंड बाजे के साथ निकली अंतिम यात्रा

पूर्व विधायक रामस्वरूप सिंह गौर का लंबी बिमारी के चलते निधन हो गया था. कानपुर देहात में पूर्व विधायक की बैंड बाजे से अंतिम यात्रा निकाली गई.

पूर्व विधायक रामस्वरूप सिंह गौर पंचतत्व में हुए विलीन
पूर्व विधायक रामस्वरूप सिंह गौर पंचतत्व में हुए विलीन

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Published : Feb 18, 2023, 8:51 PM IST

पूर्व विधायक रामस्वरूप सिंह गौर पंचतत्व में हुए विलीन

कानपुर देहात: सपा के पूर्व विधायक रामस्वरूप सिंह गौर का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. रामस्वरूप सिंह गौर का पार्थिव शरीर रूरा कस्बा स्थित उनके पैतृक आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था. रामस्वरूप सिंह गौर की अंतिम यात्रा बैंड बाजे के साथ निकाली गई, जिसमें भारी संख्या में उनके चाहने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा. पूर्व राज्यमंत्री रामस्वरूप सिंह का लंबे समय से कानपुर के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था. इलाज के दौरान ही पूर्व विधायक ने अंतिम सांस ली.

रामस्वरूप सिंह गौर ने 1982 के ब्लॉक प्रमुख के चुनाव से राजीनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. उनकी सपा पार्टी में अच्छी पकड़ थी. रामस्वरूप हमेशा जनता की समस्याओं को लेकर अपनी आवाज उठाते थे और अकबरपुर रनियां विधानसभा क्षेत्र में सभी वर्ग के लोगों का ध्यान रखते हुए समस्याओं का समाधान करते थे. स्वर्गीय रामस्वरूप सिंह गौर की नातिन शीलू ने फोन पर बताया कि बाबा (रामस्वरूप सिंह गौर) का इलाज लंबे समय से कानपुर के एक निजी अस्पताल में हो रहा था. इसी दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली.

गौरतलब है कि रामस्वरूप सिंह गौर मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के करीबी नेताओं में से थे.अकबरपुर रानियां विधानसभा सीट बनने के बाद रामस्वरूप सबसे पहले इसी सीट से सपा के टिकट पर विधायक बने थे. जब अकबरपुर रानियां विधानसभा सीट नहीं थी तो सरवनखेड़ा विधानसभा क्षेत्र से वह तीन बार विधायक का चुनाव जीते थे. उनका कार्यकाल 2017 तक सपा के विधायक के रूप में था.

रामस्वरूप सिंह गौर का जन्म 1936 में रसूलाबाद ब्लाक के ग्राम महेरा में हुआ था. शुरुआती शिक्षा ग्राम महेरा में लेने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए बाहर निकले. राजनीतिक जीवन में रामस्वरूप दो बार ब्लॉक प्रमुख, दो बार जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष और 2002 में बीएसपी के टिकर पर विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद दुग्ध संघ के अध्यक्ष और फिर गन्ना शोध संस्थान के अध्यक्ष बने. इसके साथ ही एक बार पंचायती राजमंबी भी बने थे. 2017 में रामस्वरूप सिंह गौर ने अपने आप को राजनीति से अलग कर लिया और अपने पोते नीरज सिंह को विरासत सौप दी.

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