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मदद के बहाने ATM कार्ड बदलकर ठगी, अन्तर्राज्यीय गैंग के तीन सदस्य गिरफ्तार

कानपुर में मदद के बहाने लोगों के एटीएम कार्ड (ATM card) बदल कर ठगी करने वाले तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं, आरोपियों के पास से कई बैंकों के 102 एटीएम कार्ड बरामद हुए हैं.

मदद के बहाने एटीएम कार्ड बदलकर ठगी
मदद के बहाने एटीएम कार्ड बदलकर ठगी

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Published : Oct 13, 2022, 5:18 PM IST

कानपुर:जनपद मेंमदद के बहाने महिलाओं और वृद्ध व्यक्तियों के एटीएम कार्ड (ATM card) बदलकर खाते से रकम पार करने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दबोचे गए गैंग के सभी सदस्य बिहार के रहने वाले हैं. ये प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में ठगी की वारदात करते थे. घटना का सीसीटीवी वीडियो भी आया सामने आया है.

अभियुक्तों द्वारा वारदात करने का एक सीसीटीवी वीडियो भी सामने आया है. इसमें एक वृद्ध व्यक्ति रुपए निकालने के लिये एटीएम बूथ में गया, तभी पीछे से शातिर अभियुक्त आया और पिन डालते हुए वृद्ध को देख लिया. इसी बीच शातिर ने अपने पास पहले से लिये हुए कार्ड को लगा दिया और वृद्ध का कार्ड अपने पास रख लिया. इस सारे घटनाक्रम को वृद्ध समझ ही नहीं पाया लेकिन पूरी घटना वहां लगे सीसीटीवी में रिकार्ड हो गया.

कानपुर में मदद के बहाने एटीएम कार्ड बदलकर ठगी करने वाले गिरोह के बारे में जानकारी देते अपर पुलिस आयुक्त आनंद कुलकर्णी..

कमिश्नरेट पुलिस (Commissionerate Police Kanpur) के मुताबिक हनुमंत विहार थाना (Hanumant Vihar Police Station) क्षेत्र के अंतर्गत चतुर्वेदी बिल्डिंग के पास स्थित एक्सिस बैंक के एटीएम के पास से तीन आरोपी यशवंत सिंह, सचिन साहनी उर्फ सन्तोष साहनी व धनराज कुमार चौधरी को गिरफ्तार किया गया है. इनके पास से धोखाधडी कर बदले गये 102 अलग-अलग बैकों के एटीएम कार्ड व ठगी से निकाले गये 18,500 रुपये, तीन मोबाइल फोन व 2 मोटर साइकिल बरामद किया है. आरोपियों द्वारा उत्तर प्रदेश के कई जिलों में घटना करना स्वीकार किया है. पकड़े गये अभियुक्तों में सचिन साहनी उर्फ संतोष साहनी ने बताया कि ठगी के रुपए से उसने प्रधानी का चुनाव भी लड़ा था.

कमिश्नरेट पुलिस ने बताया कि आरोपी एटीएम बूथों पर अलग-अलग दिनों मे जाते थे. इसके बाद एटीएम बूथों के पास खड़े होकर एक व्यक्ति निगरानी करता तथा दूसरा व्यक्ति पासवर्ड देखकर एटीएम बदल लेता था. पकड़े गए आरोपी महिलाओं व बजुर्ग व्यक्तियों को अपना टारगेट बनाते थे. उनका एटीएम बदलना व पिन देखना आसान होता था. आरोपी अधिकतर ऐसे एटीएम बूथों मे घटना करते थे जहां एटीएम का सर्वर डाउन हो तो लोग बार-बार एटीएम लगाकर देखते थे. जो पिन डालते रहते और रुपए नहीं निकलते थे. इस दौरान आरोपी मदद के बहाने धोखे से एटीएम कार्ड बदल कर उन लोगों को उसी बैंक का दूसरा एटीएम कार्ड और उसी बैंक दे देते थे. इसके बाद अन्य जगह जाकर एटीएम ब्लाक होने से पूर्व ही एटीएम बूथ से रुपए निकाल लेते थे. ट्रांजेक्शन लिमिट पूरी हो जाने पर कार्ड स्वैप कर ज्वैलरी व कपड़े भी खरीद लेते थे. ज्वैलरी को बेंच कर आपस मे रुपए बांट लेते थे. घटना करने के बाद निकाले हुए रुपए व ज्वैलरी को लेकर अपने गांव बिहार लेकर चले जाते थे.




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